क्यों लगा रायटर्स पर प्रतिबंध और फिर उठ गया

एक राजा था। बड़े ही गाजे-बाजे के साथ उसका राज्याभिषेक हुआ था। वह दिखता तो बहुत आत्मविश्वासी था लेकिन उसे हमेशा यह डर बना रहता था कि कहीं उसका राज-पाट छिन ना जाए। राजसी परिवार के वृक्ष में से कुछ के ख़लबली का अंदेशा भी उसे बना रहता। वह आए दिन इसी  चिंता में लगा रहता और अपने दरबारियों को ऐसा करने की खुली छूट देता जिससे जनता में यह संदेश जाए कि केवल वही इस पद के सर्वथा योग्य है और शेष सब नाकारे और निकम्मे हैं। राजा के इस डर से दरबारी और उनके जानने वाले तो वाक़िफ़ थे ही लेकिन अब तो दुश्मनों को भी ख़बर हो गई थी। उन्होंने भी भांप लिया था कि राजा डरता है और इसका फ़ायदा उन्हें मिल सकता है। राजा के गद्दी बचाने के तमाम हथकंडों को उसकी रियाया भी समझ रही थी लेकिन उसे अपने राज्य की फ़िक्र थी। दुश्मनों को भला प्रजा की क्या परवाह होती वे  बस केवल मौके की तलाश में रहते। राजा की सत्ता लिप्सा और डर उन्हें बैठे-बिठाए यह सब उपलब्ध करा रहा था। दरबारी और चाटुकार अपना रोब -दाब बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक चले जाते थे बिना इस बात की परवाह किये कि इस राजा के पुरखों ने राजदंड के साथ कुछ नियम कायदे भी जोड़े थे। यहां राजा कृष्णदेव राय की तरह ना कोई तेनाली राम था और ना अकबर की तरह कोई बीरबल। कुछ चापलूस तो राजा को खुश करने के लिए कुछ ज़्यादा ही घी का इस्तेमाल कर लेते थे जो अब बह कर राज्य की सीमा से आने लगा था। 

इन दो-तीन दिनों में जो हुआ वह गौर करने लायक है। बिहार के मतदाताओं की समस्या ,महाराष्ट्र में भाषा का पासा ये सब तो जारी है ही लेकिन  फिलहाल देश की छवि को जो नुक़सान उद्योगपति और ट्विटर (अब एक्स )के मालिक एलन मस्क ने पहुंचाया है, वह बताता है कि अगर सरकार प्रेस  विरोधी सोच रखती है तो फिर आपका इस्तेमाल यूं भी हो सकता है। एलन मस्क की टीम ने 'एक्स' पर लिखा कि बीते सप्ताह भारत सरकार ने  'एक्स' पर मौजूद 2 हज़ार से भी ज़्यादा एकाउंट्स बंद कर देने के लिए कहा जिसमें अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के दो अकाउंट भी शामिल थे। देश दुनिया में हल्ला मचना ही था और मचा भी कि भारत ने अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला यूं घोटा जा रहा है। देश तो जानता है कि सरकार को अपनी शान के ख़िलाफ़  एक पोस्टर,बयान, ट्वीट और गीत तो क्या मसखरों का मज़ाक भी मंज़ूर नहीं है। बड़े उद्योगपति मस्क जो भारत में सैटेलाइट इंटरनेट स्टरलिंक को लाने की तैयारी लगभग कर चुके हैं, उनके द्वारा न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के बारे में ऐसा बयान आते ही सरकार तो जैसे सफाई देने की मुद्रा में ही आ गई। एक्स ने इन अकाउंट्स के ज़िक्र के साथ लिखा कि यह 'ऑनगोइंग प्रेस सेंसरशिप इन इंडिया' यानी भारत में जारी प्रेस सेंसरशिप के हालात ज़ाहिर करता है। 


इसके बाद तुरंत हरकत में आई सरकारने कहा कि हमने तीन जुलाई को कोई नया आदेश नहीं दिया। रायटर्स के  ब्लॉक होने  के बाद हमने तुरंत एक्स का ध्यान इस तरफ़ दिलाया और उसने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए काफी समय खराब कर दिया और फिर पूरे 21 घंटों बाद इस प्रतिबंध को हटाया। ऐसा पांच जुलाई को  इलेक्ट्रॉनिस और सूचना तकनीकी मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था और इसके पहले तीन जुलाई को एक्स ने अपने वैश्विक सरकारी मामलों के हैंडल पर लिखा भारत ने 2 हज़ार 355 खातों को जिनमें रायटर्स (ढाई करोड़ फॉलोवर्स)और रायटर्स वर्ल्ड(71 करोड़ ) शामिल थे, आईटी की धारा 69 'ए' के तहत नोटिस जारी करने के बाद किया गया। पोस्ट में लिखा गया कि जब पूरी दुनिया में  विरोध हुआ तब एजेंसी के दोनों खातों को बहाल करने का अनुरोध किया गया।  एक्स का यह भी कहना था कि भारत सरकार के कानून उन्हें यूजर्स को खाते जारी रखने से रोकते हैं। टीम ने एक पोस्ट में लिखा ‘एक्स सभी उपलब्ध कानूनी विकल्प तलाश रहा है लेकिन उसके हाथ बंधे हुए हैं। मौजूदा  भारतीय कानून इन कार्यकारी आदेशों के विरुद्ध विधिक चुनौती देने से रोकते हैं। हम प्रभावित यूजर्स से आग्रह करते हैं कि वे अदालतों के माध्यम से कानूनी राहत पाने का प्रयास करें।’ यहां यह जानना भी दिलचस्प होगा किअगले ही दिन यानी दस जुलाई को भारत के समाचार पत्रों में रायटर्स न्यूज़ एजेंसी के हवाले से ही यह खबर भी छपती है कि एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए अंतिम मंज़ूरी मिल गई है। अब स्टरलिंक पूरे भारत में अपनी व्यावसायिक गतिविधियां चला सकती है। यह लाइसेंस पांच साल के लिए होगा। इससे पहले इसी साल मार्च में भी एलन मस्क की कंपनी एक्स ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में सरकार को चुनौती देते हुए कहा था कि भारत में अधिकारियों को यह शक्ति दे दी गई है कि वे कभी भी सोशल मीडिया के खातों पर प्रतिबंध लगाने का डंडा चला सकते हैं। 

यह घटना बताती है कि भारत के नेताओं की राजनीतिक असुरक्षा की भनक दुनिया के चतुर सुजानों को लग चुकी है और वे मौका मिलने ही हालात को अपने हित में भुना रहे हैं। वैसे यह ग़फ़लत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत विरोधी बयानबाजों से निपटने के लिए और पाकिस्तानी खातों को प्रतिबंधित करने के सिलसिले से शुरू हुई थी जिसमें शायद समाचार एजेंसी रायटर्स  भी शामिल हो गई। बहरहाल भारत में प्रतिबंधों और प्रेस की आज़ादी को कुचलने का सिलसिला कोई नया नहीं है। पत्रकारों के घर छापे ,विदेशी पत्रकारों को देश से निकालने  के कई मामले सामने आए हैं। दिल्ली में काम कर रही फ़्रांसिसी रिपोर्टर वेनेसा डोनिएक के साथ भी यही हुआ। उन्हें जबरदस्ती देश से बाहर भेज दिया गया जबकि वे 23 सालों से भारत में पत्रकारिता कर रही थीं और एक भारतीय से ही उन्होंने शादी भी की थी। सरकार का कहना था की वे भारत के प्रति पक्षपाती और नकारात्मक रवैया रखती थीं । बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' जो 2002 के गुजरात दंगों से लेकर भारत में मुसलमानों के हालात और नरेंद्र मोदी से उनके रिश्तों पर आधारित है, उसे भी बैन कर दिया गया था। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के पहले अंक के रिलीज़ होने के बाद ही भारत सरकार ने इसे एकतरफा दुष्प्रचार और औपनिवेशिक मानसिकता बताकर प्रतिबंधित कर दिया था। ऐसा तब था जब डॉक्यूमेंट्री को बीबीसी ने भारत में रिलीज़ ही नहीं किया था। फिर भी सरकार ने रोक लगाई जिससे डॉक्यूमेंट्री को और प्रचार मिला था । 

सरकार  चलाने वालों  की असुरक्षा जब-तब सामने आ ही जाती है। कभी न्यूज़ एजेंसी तो कभी पत्रकार ,कभी छात्र और यहां तक की जज भी उसके  निशाने पर आ जाते हैं। तत्कालीन कानून मंत्री किरण रिजिजू ने तो सेवानिवृत्त जजों को ही  'एंटी इंडिया गैंग'' का हिस्सा बता दिया था । उन्होंने कहा था  "कुछ रिटायर्ड जज ऐसे हैं जो एंटी इंडिया गैंग का हिस्सा हैं। ये लोग चाहते हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्षी दल की तरह काम करे। कुछ लोग तो कोर्ट में जाकर यह तक कहते हैं कि सरकार की नीतियों को बदला जाए। वह सरकार पर रेड करने की मांग करते हैं।" यह अब स्थापित हो चला है कि  सरकार अपने से असहमत लोगों को केवल एक ही चश्मे से देखती है देशद्रोही का चश्मा। इधर इंदौर के एक कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की गिरफ्तारी भी लगभग तय की जा चुकी है। यह कार्टून से भी से डरने का दौर है। उनके फेसबुक कार्टून को प्रधानमंत्री और आरएसएस का अपमान बताकर ऐसा किया जा रहा है। आलोचना और अलग स्वर को दबा देने का सिलसिला जारी है और यही वह पृष्ठभूमि है जिसमें दुनिया भारत को देख रही है। अरबपति उद्योगपति से लेकर दुनिया के शासक इस कमज़ोरी का लाभ लेने का मौका भला क्यों चूकेंगे ? सरकार ने स्वयं कहा है कि एलन मस्क के एक्स ने खुद रायटर्स पर प्रतिबंध उठाने में देरी की,हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं था। दुनिया के लोग और देश अपने फायदे के लिए भारत की कमज़ोरियों का लाभ ना ले सकें यह भी देश को ही तय करना है। राजा के सार्वजानिक हो चुके डर से भी राजा को ही मुक्ति पानी होगी। दरबारियों को भी सख़्त निर्देश देने होंगे जिनके बारे में फैज़ अहमद फैज़ ने कभी लिखा था -

कोई इनको अहसास ए ज़िल्लत दिला दे 

कोई इन की सोई हुई दुम हिला दे। 


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