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मैं अपना यह हक़ छोड़ती हूँ।

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जब सर्वोच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने की इजाज़त दे दी है तो ये कौन ताकतें हैं जो ख़ुद को संविधान से ऊपर मानने लगी हैं। तकलीफ़  तो कुछ लोगों को तब भी हुई  होगी  जब    सती प्र था के ख़िलाफ़ क़ानून बना होगा। कुछ देर के लिए मंदिर में स्त्री के प्रवेश को निषेध मानने वालों को सही भी मान लिया जाए तो क्या ये भी मान लिया जाए कि पूजा स्थल भी स्त्री को देह रूप में ही देखते हैं। देह भी वह जो दस से पचास के बीच होती है। पवित्र स्थल के  संचालकों को इनसे  डर लगता है। चलिए आप एक देह हैं आपको भय लग  सकता है लेकिन भगवान अयप्पा को भी आपने उसी श्रेणी में रख दिया? वे ईश्वर हैं। देह उम्र के भेद से परे लेकिन भक्तों ने उन्हें अपने भय से मिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सृष्टि के चक्र को चलाने वाले मासिक चक्र से भय। आख़िर क्यों डरना चाहिए रजस्वला स्त्री से किसी को भी? वे डरते हैं ,उन्हें दूर रखते हैं ,ये भी मान लेते हैं कि इश्वर को भी वे मंज़ूर नहीं होंगी लेकिन जीवन के धरातल पर इसी उम्र की स्त्री देह ही सर्वाधिक शोषण की भी शिकार है। यौन शोषण की भी। यहां दूरी,परहेज़,अस्पृश्यता सब विलीन हो जाती

सबसे ज़्यादा अनरिपोर्टेड समय

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पत्रकार शाहिद मिर्ज़ा साहब को याद करते हुए विनोद विट्ठल जी सा आपने जो कविता पुस्तक मुझे भेजी है उसके लिए आपका दिल की गहराइयों से आभार। आभार इसलिए भी कि आपने हमारे समय की बीमार नब्ज़ पर हाथ रख दिया है और उसके बाद इन हाथों ने जो लिखा है वह किसी वैद्य का कलात्मक ब्यौरा ही है। चाहो तो वक़्त रहते इलाज कर लो। कविता से पहले आपने सही लिखा है बाबाओं का बाज़ार है ,धार्मिक उन्माद है, मॉब लिंचिंग है, खाप  पंचायतें हैं, फ्री डाटा है ,व्हाट्सऍप -फेसबुक है ,टीवी के रियलिटी शो हैं ,खबरिया चैनल हैं,खूब सारा प्रकाशन- प्रसारण है लेकिन सबसे ज़्यादा  ज़्यादा अनरिपोर्टेड समय है। एक कवि की वाजिब चिंता कि कागज़ों में दुनिया भर की चिंता की जा रही है लेकिन लुप्त होते जा रहे इंसान की कोई बात नहीं कर रहा। वाकई ये कविताएं इस  अनरिपोर्टेड  समय की चिट्ठियां हैं जिसे हमें संभालना ही चाहिए।  कविता लेटर बॉक्स में विनोद विट्ठल लिखते हैं दर्ज़ करो इसे कि अलीबाबा को बचा लेंगे जेकमा और माइक्रोसॉफ्ट को बिल गेट्स  राम को अमित शाह और बाबर को असदुद्दीन ओवैसी  किलों को राजपूत  और खेतों को जाट  टीम कुक बचा लेने एप्पल

संकल्प और गौरव के झंडाबरदारों में से एक को चुनेगा राजस्थान

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सचिन पायलट कोटा संभाग में जनता के बीच  जयपुर में मुख्यमंत्री राजे पुनर्जीवित द्रव्यवती नदी जनता को सौपतीं हुईं  -सत्ताधारी भाजपा गौरव यात्रा निकाली  तो कांग्रेस संकल्प रैली के साथ मैदान में -वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने हैं अशोक गेहलोत और सचिन पायलट -अमित शाह एक पखवाड़े में पांच बार तो राहुल गाँधी तीन बारआ चुके हैं राजस्थान -यहाँ एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा  के जीतने का है चलन -कांग्रेस को एंटी इंकम्बेंसी से है जबरदस्त उम्मीद भाजपा संगठन भरोसे -भाजपा के विज्ञापनों से लदे है अख़बार के  तो कांग्रेस मांग रही जनता से पैसा  -ग्रामीण इलाकों में राफेल या मंदिर कोई मुद्दा नहीं ,शहरों में हो रही इन पर बात  -रोडवेज कर्मचारियों की लंबी हड़ताल से सरकार के खिलाफ है गुस्सा  -आप, बहुजन, समाजवादी और कम्युनिस्ट मिलकर भी बड़ी ताकत नहीं  राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए तारीख की  घोषणा हो चुकी है। यहां 7 दिसंबर को चुनाव हैं। तारीख़ के साथ जो  ज़ाहिर हो रहा  है वह है बड़े राजनीतिक दलों का जनता को ना समझ पाना । वे अब भी चुनाव लड़ने के पारम्परिक और जातीय गणित में