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रत्ती-जिन्ना छोटे सफर के हमसफ़र

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रत्ती [20.02.1900-20.021929] के इंतकाल के दौरान भी मोहम्मद अली जिन्ना शांत और संयत बने रहे लेकिन जब रत्ती सुपुर्दे-खाक की जा रही थी और पहली मिट्टी जिन्ना को देनी थी तब यह पत्थरदिल शख्स किसी अबोध बच्चे की तरह फफक-फफक कर रो पड़े। तर्क और गांभीर्य के प्रतीक जिन्ना के सब्र का बांध टूट चुका था। उनकी रत्ती सदा के लिए धरती की गोद में समा चुकी थीं। जिन्ना के व्यक्तित्व का जब-जब आकलन हुआ है तब-तब शोर मचा है, जिरह हुई है, बेदखली हुई है। यहाँ मकसद इसमें और इजाफा करने की बजाए उन सुनहरे पलों को याद करना है जो एक खूबसूरत, राष्ट्रवादी, समृद्ध पारसी लड़की रतन बाई के बिना मुकम्मल नहीं होते। जिन्ना ने खुद से 24 बरस छोटी रतनबाई उर्फ रत्ती से जब प्रेम विवाह किया था तो दोनों ही समाज सकते में आ गए थे ...। दिल्ली में 15 अगस्त 2006 की एक सुबह। स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में मंच पर पूर्व राज्यसभा नजमा हेपतुल्ला, पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद मिर्जा आसीन थे। कार्यक्रम के बाद जारी अनौपचारिक बातचीत में बॉम्बे डाइंग वाले नुस्ली वाडिया भी शामिल हो गए। मोहम्मद अली जिन्ना और रतन