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ये राष्ट्रवाद और ये राष्ट्रद्रोह

साल 1947 में मिली आजादी खून में लिपटी हुई थी। बंटवारे ने आजाद देश तो बनाए, लेकिन वे अपनों के ही खून से रंगे हुए थे। हम चाहकर भी इसे भुला नहीं सकते। आजादी के बाद सांस ले रही तीसरी किशोर पीढ़ी भी इस पीड़ा से मुक्त नहीं है। नतीजतन, हम इस नफरत की आग से घिरे हुए हैं और पाकिस्तान, ये नाम ही हमारे खून में उबाल लाने के लिए काफी है। देशभक्ति की तमाम परिभाषाएं इस मुल्क में विरोध के आसपास सिमट गई हैं। टीवी चैनल्स भी दोनों तरफ के नुमाइंदों को बैठाकर इस कदर चीखते-चिल्लाते हैं कि लगता है यही सही है। अपशब्दों की जुगाली कइयों  की रोजी है। हाल में कु छ एेसा भी हो गया है कि पाकिस्तान का विरोध देशभक्ति है और पाकिस्तान के हक में बोल जाना देशद्रोह। क्या राष्ट्रवाद की इतनी सीमित परिभाषा के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी होगी कि आजादी के बाद इतने साल साल नफरत की आग पर बने मुल्क को कोसते हुए बिता दो। सच है कि हमने युद्ध भी लड़े हैं लेकिन लड़ाई तो चीन ने भी हमसे की? इन दिनों हम क्या कर रहे हैं? इसी आधार पर अपने विद्यार्थियों से जूझ रहे हैं। असहमति के लिए कोई जगह नहीं है हमारे पास।

इश्क़ रंगता है मुझे रोज़

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आज किसी ने कहा आपको देखकर लगता है कोई नई ऊर्जा छू गई है अब क्या कहती सीधे तुम तक आ गयी मेरी नई चेतना भी तुम पुराना अचेत भी तुम चेत, अचेत, अवचेतन सब तुम मेरा हर फ़ेरा बस तुम नित बदलती नई दुनिया में तुम्हारा  हिमालय-सा यकीन हर रोज नए मायने गढ़ लेता है मैं उसी पुराने प्रेम के नए रस में रोज भीगती हूं, बढ़ती हूं नए समय के नए केनवस पर भीगती,रंगती, खिलती, डूबती, मैं प्रेम यूं भी देता है नए मायने  

मेनका जी कैसे बता दें बच्चे का जेंडर

मेनका जी कैसे बता दें बच्चे का जेंडर ? आपको डॉक्टर्स के काम के बोझ की चिंता है उस स्त्री की नहीं जिसका दर्जा आज भी भारतीय समाज में दोयम ही है   अब तक हम यही मानते आ रहे हैं कि गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग जानना अपराध है। जोड़े जब अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी) के लिए जाते भी तो एेसी कोई कोशिश नहीं करते। जिन्हें जानना होता था कि आने वाली संतान लड़की है और वे उसे गर्भ में ही समाप्त कर देना चाहते हैं, वे एेसी सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा भी नहीं बनते। ज्यादा पैसे लेकर जांच करने और उसे गर्भ में ही गिरा देने के लिए डॉक्टर्स, नर्सेस का स्टिंग ऑपरेशन हमारे शहर जयपुर में ही हुआ है। अब जयपुर में ही सोमवार को केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा  कि माता-पिता को  बताया जाए कि उनके गर्भ में पल रही संतान का लिंग क्या है और जो यह प्रक्रिया प्रसव तक नहीं पहुंचती है तो उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाए। मंत्री कहती हैं कि इससे घरों में होने वाले असुरक्षित प्रसवों पर भी रोक लगेगी और अनावश्यक तौर पर डॉक्टर्स और नर्सेस भी सलाखों के पीछे नहीं होंगे जो पहले ही ज्यादा काम के बोझ से दबे है