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आज़ाद वतन में क्यों उजड़ रहे गुलशन

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क्या बीते दस बरसों में आपकी किसी मित्र या परिजन से कोई बहस नहीं हुई ? कभी ऐसा नहीं हुआ कि आप उलझ पड़े हों सियासी मुद्दों पर और फिर साम्प्रदायिक टसल की तंग गलियों में जकड़ गए हों ? कभी ऐसा नहीं लगा कि जिससे बहस हो रही है वह पहले कुछ और था अब कुछ और है? आखिर मेरी समझ में यह तब क्यों नहीं आया ?अगर जो ऐसा आपके साथ नहीं हुआ है तब आज की तारीख़ में आप सबसे खुशनसीब व्यक्ति हैं। आपकी सदाशयता का स्तर सर्वोत्तम है और हर हिंदुस्तानी जिस दिन ऐसा हो जाएगा, ज़हर फैलानी वाली ताकतें खुद-ब-खुद परास्त हो जाएंगी। अभी तो लगता है जैसे हर शख्स कोई ज़िंदा बम है जिसे बस एक चिंगारी तबाह करने के लिए काफ़ी है। दुनिया दुसरे विश्वयुद्ध में  बम गिराने को लेकर बहस कर रही है और हम खुद बम बन रहे हैं। हम जो यूं तब्दील हुए हैं यह सब यकायक नहीं हुआ। पूरी एक सदी की एक्सरसाइज है । अब जो नया हुआ है वह उन्मादियों को सरंक्षण देने का काम  है। अब व्यवस्था इनसे हमदर्दी रखने लगी है। मणिपुर, नूंह और जयपुर-मुंबई ट्रैन में जो हुआ और हो रहा है वह हमारे ज़िंदा बम होने की दुखद दास्तानें हैं। तब क्या इस दशा में उम्मीद इन नेताओं से की जाए जो खुद

हम सब ज़हरीली गैस से भरे गुब्बारे हो गए हैं

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कबीले के सरदार ने अपने एक लड़ाके को दुश्मन कबीले के भीतर दाख़िल होकर एक आदमी को जान से मारने के लिए भेजा। उसे बताया गया था कि उस आदमी के पास हमारे कबीले को तबाह करने की ताकत है और जो उसे मार दिया तो हम हर खतरे से मुक्त हो जाएंगे। उसे बताया गया कि उस कबीले में हमारा एक आदमी पहले से ख़ुफ़िया ढंग से मौजूद है जो वहां पहुंचते ही कैसे और किसे मारना है, इसकी योजना समझा देगा। अपने कबीले को बचाने का जोशीला भाषण सुन लड़ाका तुरंत तैयार हो गया और चल पड़ा अपना भाला और तीर-धनुष लेकर। रास्ते में घना जंगल था। अंधेरा होने पर वह सतर्क था लेकिन एक जंगली जानवर ने उस पर हमला कर दिया। होश आया तो वह एक मचान पर दो लोगों से घिरा हुआ था। उनमें से एक युवा था और दूसरा कुछ उम्रदराज़। पास में कुछ खाना और पानी रखा हुआ था। लड़ाके को होश में आया देख दोनों के चेहरे पर ख़ुशी और तसल्ली का भाव था। उम्र में बड़े व्यक्ति ने फख़्र से अपनी जड़ी-बूटी की ओर इशारा करते हुए बताया कि तुम पर तो एक बाघ ने हमला कर दिया था, वो तो सही समय पर तुम्हें इसने देख लिया वरना तुम्हारा बचना नामुमकिन था। लड़ाके की आँखों में विनम्रता और धन्यवाद का भाव था। दो