पट्टी पढ़ते हुए
कवर स्टोरी के लिए बाबाओं की भूमिका और समाज के हालात को लेकर विचार-विमर्श चल ही रहा था कि शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की एेसी तस्वीर सामने आ गई जिसमें वे ज्योतिषाचार्य से पूछ रही हैं कि उनका अपना भविष्य क्या है? बेशक ज्योतिष एक गणना है और कुछ लोग इस गणित को जानते हैं । मंगलगृह पर सफलतापूर्वक यान पहुंचाने वाले देश के कर्णधार अगर ग्रहों को यूं पढ़वाने में यकीन रखते हैं तो समझा जा सकता है कि क्यूं देश का बड़ा हिस्सा बाबाओं की चपेट में है। एक दूर के रिश्ते की बुजुर्ग हैं। एक समय में वे बड़ी-पापड़ बनाकर ठीक-ठाक व्यवसाय कर लेती थीं। पिछले बीस सालों से बाबाजी की संगत में हैं। कामकाज छोड़ दिया, वहीं सेवा करती हैं, सत्संग में आती-जाती हैं। उठते-बैठते उन्हीं का नाम लेती हैं और खुश हैं। हैरत की बात है कि बाबा ने उन्हें कौनसी युक्ति दी है कि वे सब कुछ भूलकर उन्हीं को जपती हैं और उनके दर्शन को शहर-शहर जाना नहीं छोड़ती। उद्यम अब उनसे होता नहीं लेकिन बाबा की आस्था उनसे सब कुछ करवा लेती है। मिलन की मां उसके हकलेपन से बहुत चिंतित थी। उन्हें लगता था कि