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नवंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पट्टी पढ़ते हुए

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कवर स्टोरी के लिए बाबाओं की भूमिका और समाज के हालात को लेकर विचार-विमर्श चल ही रहा था कि शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की एेसी तस्वीर सामने आ गई जिसमें वे ज्योतिषाचार्य से पूछ रही हैं कि उनका अपना भविष्य क्या है? बेशक ज्योतिष एक गणना है और कुछ लोग इस गणित को जानते हैं ।  मंगलगृह पर सफलतापूर्वक यान पहुंचाने वाले देश के कर्णधार अगर ग्रहों को यूं पढ़वाने में यकीन रखते हैं तो समझा जा सकता है कि क्यूं देश का बड़ा हिस्सा बाबाओं की चपेट में है।                 एक दूर के रिश्ते की बुजुर्ग हैं। एक समय में वे बड़ी-पापड़ बनाकर ठीक-ठाक व्यवसाय कर लेती थीं। पिछले बीस सालों से बाबाजी की संगत में हैं। कामकाज छोड़ दिया, वहीं सेवा करती हैं, सत्संग में आती-जाती हैं। उठते-बैठते उन्हीं का नाम लेती हैं और खुश हैं। हैरत की बात है कि बाबा ने उन्हें कौनसी युक्ति दी है कि वे सब कुछ भूलकर उन्हीं को जपती हैं और उनके दर्शन को शहर-शहर जाना नहीं छोड़ती। उद्यम अब उनसे होता नहीं लेकिन बाबा की आस्था उनसे सब कुछ करवा लेती है।                     मिलन की मां उसके हकलेपन से बहुत चिंतित थी। उन्हें लगता था कि

नसबंदी नहीं नब्ज़बंदी

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ये बेदान बाई  हैं  जिनकी बेटी की बिलासपुर के नसबंदी शिविर में नब्ज़ बंद हो गयी।  अब इस बच्ची की माँ जैसी देखभाल कौन करेगा। ।तस्वीर  AP   बिलासपुर के नसबंदी शिविर में  पंद्रह युवा माओं की  जान चली गयी।  हादसे के  भी छत्तीसगढ़ सरकार की  नीयत तह तक पहुंचने की नहीं लगती, जांच की जिम्मेदारी एकल न्याय आयोग को दी गई है। न्यायाधीश अनीता झा सेवानिवृत्ति के बाद छत्तीसगढ़ वाणिज्यिक कर अभिकरण में अध्यक्ष पद के लिए पहले ही आवेदन कर चुकी हैं। जिस आदिवासी लड़की मीना खलखा को माओवादी बताकर पुलिस ने हत्या कर दी थी उस मामले की जांच भी इन्हं हीे सौंपी गई थी। रिपोर्ट तीन महीने में आनी थी आज तक नहीं आई। पिछले साल भारत में चालीस लाख नसबंदी ऑपरेशन हुए और इन्हें कराने वाली 97 फीसदी महिलाएं थीं यानी केवल तीन फीसदी पुरुषों को अपने परिवार की चिंता थी। यह छोटा सा आंकड़ा भारत के उस पारिवारिक संस्कृति की पोल भी खोलता है कि यह अगर जीवित है तो उसका 97 प्रतिशत श्रेय स्त्री को ही जाता है। वही बच्चों का लालन-पालन भी करती है तो वही अपने शरीर में एेसी व्यवस्था भी कराती है कि पति को कोई कष्ट ना हो। वही अपनी