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गुड़िया भीतर गुड़ियाएं

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हम सब गुस्से में हैं। हमारी संवेदनाओं को एक  बार फिर बिजली के नंगे तारों ने छू दिया है। हम खूब बोल रहे हैं, लिख रहे हैं लेकिन  कोई नहीं बोल रहा है तो वो सरका र और का नून व्यवस्था   के लिए  ज़िम्मेदार लोग। खूब बोल-लिख कर  भी लग रहा है कि क्या यह काफी है ? कोई हल है हमारे पास कि  बच्चों का  यौन शोषण न हो और बेटियों के  साथ बलात्कार का  सिलसिला रुक जाए। ऐसी जादू की  छड़ी किसी कानून के पास नहीं लेकिन कानून लागू करने वालों के  पास एक शक्ति है वह है इच्छा शक्ति। ईमानदारी से लागू करने की  इच्छा शक्ति । हमने किसी  भी सरकारी मुखिया को  सख्ती से यह कहते नहीं सुना कि  बहुत हुआ, अब और नहीं। मेरे देश, मेरे प्रदेश में इस तरह का कोई  भी अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हर मुखिया बचता नजर आता है। बयान आते हैं पुलिस क्या करे वह हर दीवार, हर कौने की  चौकसी नहीं कर सकती; दुष्कर्म एक सामाजिक अपराध है; कोई भी सरकार हो, इलजाम तो सरकार पर ही लगते हैं; ऐसे उबा देनेवाले बयानों की लंबी फेहरिस्त है। कोई सख्त आवाज नहीं गूंजती कि ऐसे वहशियाना कृत्य को  अंजाम देने वाले दरिंदों को  बख्शा नहीं जाएगा। ऐसा  कोई संद

जान मेरी

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जान मेरी जाने किस पड़ाव पर हूँ ज़िन्दगी के कोई वाक़या नहीं कोई मसला नहीं कोई सिलसिला नहीं कोई इल्तजा नहीं कोई मशवरा नहीं कोई एतराज़ नहीं  कोई ख़लिश नहीं कोई रंजिश भी नहीं है तो बस मोहब्बत की वह  पाक सुराही छलक  रहा है जहाँ से  रंग ए  सुकूं अब भी मेरे लिए .

वह जमादारनी है

सुनीता जमादारनी है। रोज सुबह सात बजे  बिल्डिंग का  कू   ड़ा उठाने आती है और वहां से फिर दस अलग-अलग मोहल्लों के घरों से कूड़ा लेती है। वापसी में उसे तीन बज जाता है। इस काम में उसके  पति, देवर, बच्चे सब लगे हुए हैं। रहती वह ठसके  से है। साफ, चमकीली, चटख साड़ी पहनती है और सर हमेशा पल्लू से ढका  रहता है। जेवर भी खूब पहनती है और होंठ रंगना ·भी नहीं भूलती। वह किसी से ज्यादा बात नहीं क रती, जैसे उसे मालूम है कि  लोगों को  भी कूड़ा ठिकाने लग जाए, उसमें ही दिलचस्पी है। दरवाजा भी नहीं छूती, बस आवाज  देती है। पहली तारीख आते ही वह पैसे मांगना नहीं भूलती। उसका  देवर भी अच्छे जूते और जीन्स में नजर आ जाता है। पति पर तो सुबह से ही काम का  जुनून सवार रहता है। उसी बिल्डिंग में कैलाश सफाई के  लिए आते हैं। अपने बेटे-बेटी को स्कूल  भेजते हैं। दोनों बच्चे होनहार हैं। अच्छे नंबर आने पर वह बिल्डिंग के  लोगों को  खूब खुश हो क र बताते हैं। वह मोपेड से सफाई के लिए आते हैं। मेहनत के काम को  पूरी मेहनत से अंजाम देते हैं।    उस दिन सुनीता कुछ भुनभुनाती हुई   कूड़ा ले रही थी। उसने बताया कि  जब फ्लैट