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सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राजस्थान,भाजपा-कांग्रेस कोई कम नहीं

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अब से एक महीने तक हम सब चुनावी बुख़ार में होंगे और पांच राज्यों में यह किसी बड़े समर से कम नहीं होगा। ऐसे में किसी क्विज या प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में राजनीतिक दलों से जुड़ा यह  सवाल आ जाए तो आपका जवाब क्या होगा ? सवाल -दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में इन चुनावों को लेकर क्या रणनीति अपनाई है ? अ -किसी भी राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को कोई महत्व नहीं देना  ब -संसद में धर्म विशेष के सांसद को अभद्र शब्द कहने वाले को नवाज़ा जाना  स-महिलाओं से जुड़े बड़े बिल को पास कराने के बावजूद उसे लागू करने की गारंटी देना  ? द -कह नहीं सकते, लेकिन सब सही लग रहे हैं  अब एक सवाल भारत की आज़ादी से जुड़े दल कांग्रेस के बारे में - अ -इसके नेता आपस में ही लड़ते रहते हैं ? ब -टीवी एंकरों का बहिष्कार कर देते हैं  स -पार्टी की नीतियों को लेकर भी दुविधा में रहते हैं  द -उपरोक्त सभी  मुस्कराहट नहीं जवाब चाहिए। आपसे भी और इन दलों से भी जो आनेवाले पांच सालों में हमारे प्रदेशों पर राज करने वाले हैं।मध्यप्रदेश,राजस्थान,छत्तीसगढ़,तेलंगाना और मिजोरम में मुनादी हो चुकी है। राजस्थान बीते छह बार

राजस्थान : जनता की पैनी निगाह है चौपड़ के पासों पर

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जयपुर का खूबसूरत परकोटा विश्व विरासत की महत्वपूर्ण धरोहर है और इसी परकोटे में वास्तुकार विद्याधर जी की बनाई चौपड़ भी है। यहाँ का बाज़ार चौपड़ के डिज़ाइन-सा है, वही चौपड़ जिस पर पासे फेंक-फेंक  कर कौरवों और पाण्डवों ने  द्युत क्रीड़ा को अंजाम दिया था और उसके बाद फिर द्वापर युग की पूरी राजनीति बदल गई थी। यहाँ भी  चुनावी राजनीति का रंग राजधानी जयपुर से जमना शुरू हो गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने एक के बाद एक चुनावी सभाएं की । इन दोनों के आने से जनता के बीच भले ही कोई बड़ी हलचल न हुई हो लेकिन दलों के भीतर भूचाल आ गया है। मोदी के मंच पर दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को बोलने का मौका नहीं मिला तो राहुल गांधी भी जाते-जाते बम फोड़ गए कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तो हम जीत जाएंगे लेकिन राजस्थान में टक्कर कांटे की है। बेचारे अशोक गेहलोत जिन्होंने रेगिस्तान की धरती पर जितनी बारिश नहीं होती उतनी तो योजनाओं की बरसात कर दी है,केवल इतना ही कह पाए कि हम और मेहनत करेंगे। कोई बिरला नेता ही होगा जो सरे आम अपनी पार्टी के पीछे होने की बात कह जाए।  रवायत तो यही है घर में चाहे दाने ना ह

इस बार के इवेंट में आधी आबादी है केंद्र में

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मूमल की मां रसोई में रोटी बेल रही थी कि मूमल के पिता ने तेज़ आवाज़ में कहा –"अरे सुनो महिला आरक्षण बिल पास होने वाला है। अब 33 फ़ीसदी महिलाएं लोकसभा और विधानसभा में आ जाएंगी। ये है असली मास्टर स्ट्रोक है भई, अब कुछ नहीं हो सकता इस विपक्ष का। " सुनकर मूमल की मां के चेहरे पर मुस्कान खिल गई थी। "यह तो कमाल हो गया... जो कोई न कर पाया वह इन्होंने कर दिया... इतने सालों में हम तो इसे भूल ही गए थे।" कहते-कहते मूमल की मां बेलन और मुस्कुराहट दोनों को  लिए बैठक में आ गई थी। "ज़्यादा खुश मत हो यह इस बार नहीं होने वाला। अभी जनगणना होगी , फिर नई सिरे से संसदीय क्षेत्र बनेंगे, 2029 में होगा यह सब।” मूमल के पिता जिन्हें वे शर्माजी कहती थीं, उन्होंने अपनी गर्दन को कुछ टेढ़ी  करते हुए कहा। इतना सुनना था कि मूमल की मां की खिली मुस्कान एकदम से सिकुड़ गई। "हे भगवान फिर किस लिए इतना तामझाम। क्यों नहीं की अब तक जनगणना, क्यों नहीं इतने सालों में इस पर विचार किया? 2029 तो बहुत दूर है और  किसने देखा है।"वह निराश स्वर में बोली थी।  मूमल की मां जैसा हाल कई महिलाओं का है।  उनकी ख़ुशी जै

सनातन पर सत्ता के हिंसक बयान और 'घमंडिया '

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अगर पूछा जाए कि घमंडिया और इंडी अलायंस  किसके नाम हैं तो झट जवाब आएगा विपक्षी गठबंधन के । प्रचार और शब्दावली की ताकत ऐसी है कि बेचारे  इंडिया गठबंधन का असली नाम ही कहीं पीछे छूट गया है। प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश के बीना में इस गठबंधन के लिए कहा कि घमंडिया गठबंधन के लोग सनातन को समाप्त करने का संकल्प लेकर आए हैं। दरअसल करूणानिधि के पोते और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन  ने कहा था कि सनातन धर्म को जड़ से ख़त्म किया जाना चाहिए और मच्छर, डेंगू ,मलेरिया और कोरोना ये कुछ ऐसी चीज़ें हैं ,जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता बल्कि उन्हें ख़त्म करना ज़रूरी होता है। इसके बाद तो तश्तरी में रखे इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी की पूरी सरकार टूट पड़ी है । विपक्ष ने ऐसा बढ़िया मौका खुद सत्ता पक्ष को दिया और अब जब तीर कमान से निकल चुका इंडिया अलायंस ने कह दिया है कि  मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और गठबंधन इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं देंगे और इसे यहीं समाप्त करने का फैसला ले लिया गया है। विपक्ष को इन दिनों जो थोड़ी सुर्खियां मिली  है वह उन 14 एंकरों की सूची है जिनकी टीवी बहसों में अब