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इसका मतलब न जबरदस्ती टीका लगे न प्रमाण मांगा जाए

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यह खबर किसी के लिए भी अचरज  भरी हो सकती है कि जबरदस्ती किसी को भी  न  वैक्सीन लगाई जाए और न ही  हरेक के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट  अनिवार्य किया जाए । वाकई यह बात एक नागरिक की आज़ादी का   पूरा समर्थन करती हुई लगती है खासकर तब और भी ज्यादा जब सरकार यह जवाब सर्वोच्च न्यायालय को देती है। सच यही है कि एक याचिका की सुनवाई पर सरकार ने अपने जवाब में इसी नागरिक स्वतंत्रता पर मुहर लगाई  है। यह बात इस परिदृश्य में और भी जरूरी हो जाती    है जब टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच को ऑस्ट्रेलिया छोड़ना पड़ता है क्योंकि उनहोंने कोविड का टीका नहीं लगवाया है और दुनिया  वैक्सीन पासपोर्ट पर फिर से बहस कर रही है  भारत सरकर का यह रुख उस वक्त सामने आया जब वह एलुरु फाउंडेशन की  याचिका के संदर्भ में  दिव्यांगों से जुड़े उस सवाल का जवाब दे रही थी कि उनके सम्प्पूर्ण टीकाकरण के लिए सरकार की क्या तैयारी है। बेशक अनिवार्य टीकाकरण की सूरत में यह बहुत ही मुश्किल होगा कि हर दिव्यांग और बिस्तर पर रहनेवाले गंभीर रोगी तक भी टीका पहुंचे। इस बारे में सरकार का यह भी कहना था कि राज्य सरकारों को निर्देश दे दिए गए थे कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता

बाइस को इक्कीस से शांत और स्वस्थ क्यों नहीं होना चाहिए

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इक्कीस से विदा ले हम बाईस में दाखिल हो चुके हैं। दिल बेशक उम्मीद से भरा होना चाहिए कि देश और दुनिया अब और सेहतमंद और शांत होंगे लेकिन  वाकई ऐसा है ? क्या इक्कीस ने हमारी सर पर मंडराती हुई इन बालाओं से हमें मुक्त किया है ? क्या ऐसे प्रयास हुए हैं जो इंसान पर आई इस आपदा से हमें आजाद करे। शायद नहीं क्योंकि कोरोना वायरस रूप बदलकर और मजहबीं ताकतें सर उठाकर नगाड़े कूटती हुई बाईस में भी घुसपैठ कर गईं हैं। कोरोना के डर को फैलाया जा रहा है और इन ताकतों पर शीर्ष  की चुप्पी चुपचाप इस नए साल में भी चली आई है। गौर करे तो हमारे गांव कोरोना से खौफजदा नहीं है। वहां शायद  है।बाईस को इक्कीस से शांत और स्वस्थ क्यों नहीं होना चाहिए रोज़ी रोटी के संघर्ष में कोरोना सर नहीं उठा पा रहा है। वहां तो अब तक मास्क भी मुंह का हिस्सा नहीं बने  हैं।  शहर के विशेषज्ञ चीखें जा रहे हैं कि डरो ओमिक्रोन आ गया है यह डेल्टा वेरिएंट जैसा खतरनाक नहीं लेकिन कुछ भी हो सकता है। जर्मन कवि  बर्तोल ब्रेख्त ने लिखा भी है  मैं खूब जानता था  कि शहर  बनाए जा रहे हैं  मैं नहीं गया  उन्हें देखने  इसका सांख्यिकी वालों से ताल्लुक है  न की इत