संदेश

अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फ़िक्र फिर तुम्हारी है

चित्र
जीवन के इस दौर में फिर मन करता है नीली चिड़िया गूगल पर मिली  तुम्हें पढूं तुम्हें गुनूं तुम हो कहाँ ! रहो तुम जहाँ रहना है तुम्हें मुझे पता है ज़रूरी लोग अपने पीछे कुछ भी गैर ज़रूरी नहीं छोड़ते मेरी गुज़र जाएगी फ़िक्र फिर तुम्हारी है मैं ऐसा क्या दे पाईं हूँ तुम्हें ??