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सौ रुपये में nude pose

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'वे जो कला को नहीं समझते मेरे काम को भी सम्मान नहीं दे सकते.मेरी बस्ती के लोग जो मेरे काम को जानते हैं मुझे वैश्या ही कहते हैं. क्या कहूं  खुद भी तो पहले ऐसा ही समझती थी.' निशा यही नाम है उसका. दक्षिण मुंबई के आर्ट्स कॉलेज की न्यूड मॉडल है. तीस विद्यार्थियों और एक प्रोफ़ेसर की  मौजूदगी में वह अपने कपड़े उतार  देती है. जीती जगती निशा सफ़ेद पन्नों पर रेखाओं में दर्ज होती जाती है. यहाँ उसके भीतर की शंकाएँ और सवाल कोई शोर नहीं मचाते. कला के विद्यार्थियों के लिए वह सिर्फ एक मॉडल है जिसके कर्व्ज उनके सामने कला की नई चुनौती रखते हैं. वह छह घंटे की सिटिंग देती है, बदले में उसे १०० रूपए मिल जाते हैं पहले सिर्फ ५० मिलते थे. वह कहती है वे केवल मेरा शरीर देखते हैं. मन नहीं इसलिए मैं बिलकुल सहज बनी रहती हूँ वे. सब मेरा सम्मान करते हैं. दो बेटे हैं. पति जब तक रहे काम करने की नौबत नहीं आयी .फिर लोगों के घरों में काम करना पड़ा. एक दिन मेरी मौसी ने इन कोलेजवालों से मिलवाया. वे भी यही करती हैं. शुरू में मुझे बहुत झिझक हुई लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं. मेरे बच्चों को नहीं पता कि  मैं क्या काम करत