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कोरोना नोट्स 2020

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डायरी में लिखे कोरोना नोट्स आज ब्लॉग की  सैर पर निकल आए हैं।  रद्दी का ढेर उस अख़बारनवीस ने कबाड़ी के सामने  रख दिया। फिर बोला जो मर्ज़ी हो दे दे ...  मोल-तौल  रहने दे। हम दोनों की रोज़ी बची रहे बस। ****** रुक्मणि ने अपना टीवी, ठीक कराने के लिए एक दुकान पर दिया था। लॉकडॉउन के बाद जब वह दुकान पर पहुंची तो उसे कहा गया कौनसा टीवी था, मुझे तो याद नहीं।रुक्मणि के पास न रसीद थी न टीवी की तस्वीर । ****** डॉक्टर जो मोटी फीस लेकर उनके कूल्हे की हड्डी जोड़ चुके थे,फेफड़ों में पानी भरते ही बोले हमारा अस्पताल तो ग्रीन ज़ोन में है, आप इनके लिए कोई दूसरा अस्पताल देख लीजिए। ****** क्या नाम बताया आपने -बिल्किस बेगम। आप उस एरिया के अस्पताल में फोन कर लीजिए शायद वहां कोई बेड खाली हो, यहां तो सब फुल है। ********* मैंने मास्क लगा रखा था। पेशेंट लॉबी में स्ट्रेचर पर था।डॉक्टर कंपलीट ppe किट में थे।मेरे सामने पड़ते ही लगभग चिल्ला उठे। दूर रहिए ...दूर रहिए ...कहते हुए पूरे-पूरे सवालों के आधे-आधे जवाब देने लगे। ********** अस्पताल जाते हुए रास्ते में पुलिस वाले ने रोका। डंडा दिखाकर मुझे पीछे खदेड़ा। मैंने कहा

रोमियो जूलियट और अंधेरा

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रोमियो जूलियट और अंधेरा इस चेक उपन्यास  को पढ़ने की एक जो बड़ी वजह थी, प्रख्यात हिंदी कथाकार  निर्मल वर्मा का अनुवादक होना । निर्मल वर्मा का चेक भाषा से हिंदी में हुआ यह अनुवाद इस कदर सरल, सहज और प्रवाह में  है कि आप भूले रहते हैं कि यह हिंदी का नहीं है। बीच-बीच  में कहीं जब  वे चेक भाषा के शब्द जस के तस लिखते हुए अर्थ बताते हैं , केवल तब ही आभास होता है  लेकिन फिर यह रोचकता को और बढ़ा देता है। ऐसा इसलिए भी कि निर्मल जी प्राग में दस साल रहे और चेक भाषा सीखी।  चेक लेखक यान ओत्चेनाशेक   के  कथानक को दूसरे विश्व्युद्ध के अँधेरे  का उजला लेखन कहा जा सकता है। 1924 में जन्में यान उस समय युवावस्था में दाख़िल हो रहे थे जब समूचा यूरोप महायुद्ध की विभीषिका से टकरा रहा था। नाज़ियों का कहर चैस्लोवाकिया पर भी उतर आया था और उस वक्त कथा का  नायक पॉल उम्र के  सबसे नर्म और ख़ूबसूरत हिस्से में दाख़िल हो रहा था ।  विज्ञान में गहरी  रूचि रखने वाला छात्र पॉल युवा चेकोस्लोवाक लड़का तो दूसरी ओर नर्तकी बनने  का  ख़्वाब संजोए  यहूदी लड़की एस्थर।  ये दो छोर ही तो थे ज