संदेश

जनवरी, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मौत और ज़िन्दगी यानी दो नज्में

चित्र
पिछले दिनों अनीसुर्रहमान सम्पादित 'शायरी मैंने ईजाद की 'पढ़ी जिसमें आधुनिक उर्दू शायरी का समावेश है. जीवन और अंत से जुडी दो कवितायेँ वहीँ से. क्या करोगे ? शाइस्ता हबीब तुम मेरे मरने पर ज्यादा से ज्यादा क्या कर लोगे? कुछ देर तक आंखें हैरत में गुम रहेंगी एक सर्द सी आह तुम्हारे होटों को छूते हुए उड़ जाएगी और तुम्हें कई दिनों तक मेरे मरने का यकीन नहीं आएगा फिर एक दिन... तुम अपने दोस्तों के साथ बैठै हुए कहकहे लगा रहे होगे मैं एक अजनबी आंसू की तरह तुम्हारे गले में जम जाऊंगी और तुम... तुम उस आंसू को निगलने की कोशिश में सचमुच रो पड़ोगे कि मैं वाकई मर गई हूं   यह मुहब्बत की नज़्म है जीशान साहिल इसे पानी पे लिखना चाहिए या किसी कबूतर के पैरों से बांध कर उड़ा देना चाहिए या किसी खरगोश को याद करा देना चाहिए या फिर किसी पुराने पियानो में छुपा देना चाहिए यह मुहब्बत की नज्म है इसे बालकनी में नहीं पढऩा चाहिए और खुले आसमान के नीचे याद नही करना चाहिए इसे बारिश में नहीं भूलना चाहिए और आंखों से  ज्यादा करीब नहीं रखना चाहिए                           

सुबह चांदनी मिली

चित्र
नए साल की पहली सुबह जब आँख खुली तो चांदनी मिली . पूरे चाँद की चांदनी. २००९ के ही चाँद की चांदनी. ज़ाहिर है सूरज की पहली किरण से हम रूबरू नहीं हो सके . ऐसी ही एक सर्द सुबह रणथम्भौर की थी जब शेर के दर्शन को तरसती आँखों के साथ हम कैंटर में सवार हुए .जिन्होंने भी जंगल सफारी का आनंद लिया है वे समझ सकते हैं की जंगल के राजा का दिखना क्या होता है. इस सफारी में हमें एक ऐसा नायाब पक्षी मिला जो आपके सर पर आकर बैठ जाता है.. और जब वह उड़ जाता है तो लगता है सारा अनर्गल हर ले गया. सर्दी में ठिठुरायी   पोस्ट १ जनवरी २००९ की डायरी से. आते और जाते साल के संगम के दौरान मानस पर जो अंकित हुआ वही साझा कर रही हूं। रणथम्भौर के एक होटल में डीजे पर सारे गेस्ट थिरक रहे हैं। काळयो कूद पड्यो मेला में .. से लेकर ब्राजील... पर क्या गोरे क्या काले खूब ताल मिला रहे हैं। होटल क्या है पूरा-पूरा बाघालय है। फर्नीचर, क्रॉकरी, चादर, पर्दों पर, यहां तक कि तस्वीरों में भी बाघ  ही हैं । इतने बाघ यहां है तो जंगल में क्या आलम होगा। यही सोचकर परिवार खासकर उसमें शामिल बच्चे बेहद उत्सुक थे। 31 दिसंबर की पार्टी के बाद सुबह छह बज