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अक्तूबर, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बेवा तारीख़

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  एक डूबी तन्हा तारीख है आज कभी महकते थे फूल इस दिन चिराग भी होते थे रोशन यहाँ खुशबू भी डेरा डाले रहती थी तुम नहीं समझोगे  तारीख का डूबना क्या होता है नज़रों के सामने ही यह ऐसे ख़ुदकुशी करती  है   कोई हाथ भी नहीं दे पाता हैरां हूँ एक मुकम्मल तारीख यूं ओंधे मुंह पड़ी है मेरे सामने खामोश और तन्हा. मैंने देखा है एक जोड़ीदार तारीख को बेवा होते फिर भी मैं उदास नहीं मेरे यार न ही नमी है आँखों में इसी तारीख में जागते हैं बेसबब इरादे बेसुध लम्हें बेहिसाब बोसे बेखुद साँसें बेशुमार नेमतों से घिरी है यह तारीख...

वहां तालिबान, यहाँ बयान

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brave girl: ham sab malala hain पडोसी मुल्क में जहाँ पढना चाहने वाली किशोरी मलाला पर गोली दागी जा रही वहीँ हमारे मुल्क बयानों के बाण गहरे घाव कर रहे हैं. इ न शब्दों को लिखते हुए स्वर प्रार्थना में डूबे हुए हैं। पंद्रह साल की मलाला युसुफजई के लिए इसके सिवाय किया भी क्या जा सकता है। महज स्कूल जाते रहने की जिद एक बच्ची को मौत देने का कारण कैसे बन सकती है। नौ अक्टूबर को मलाला के सर में उस वक्त गोली मारी गई जब वह परीक्षा देकर बस से घर लौट रही थी। दो अज्ञात व्यक्ति नकाब ओढे़ बस में चढ़े और पूछा कि तुममें से मलाला कौन है। मलाला के गोली लगते ही बस के फर्श पर खून फैल गया। हमले में उसकी दो सहेलियां भी घायल हो गईं। शाजिया को गोली उसके कंधे पर लगी। इस दर्दनाक मंजर की दास्तान दोहराते हुए मलाला की दोस्त शाजिया की  में कोई खौफ नहीं तैरता। वह कहती है, मलाला ठीक हो जाएगी और हम फिर स्कूल जाएंगे। मलाला को पता था कि उसके साथ यह हादसा हो सकता है। उसे लगातार धमकियां भी मिल रही थीं, लेकिन एक दिन भी वह स्कूल जाने से नहीं कतराई। पाकिस्तान की स्वात घाटी बेहद खूबसूरत है, लेकिन गोरे, सुर्ख चेह

पुष्कर के फूल

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कुदरत की गोद में बसा पुष्कर प्रथ्विवासियों के लिए बेहतरीन उपहार है लेकिन यहाँ  के कथित पुजारी इस सौंदर्य को नष्ट कर रहे हैं वह भी एक फूल देकर . आप सोच रहे होंगे की फूल ने कभी किसी का  क्या बिगाड़ा है लेकिन ये फूल इन दिनों सैलानियों को डराने का काम कर रहे हैं     ब्रह्मा जी के एकमात्र प्राचीन मंदिर के अलावा पुष्कर में कुछ ऐसा है जो आध्यात्मिक स्तर पर इनसान को बांधने की क्षमता रखता है। पहाड़ों की आभा, मंदिर के घंटों का नाद और घाट पर आस्था में डूबे लोग। यहां हरेक के लिए कुछ न कुछ है। लेकिन कुछ ऐसा भी है जो तकलीफ देता है। ब्रह्मा जी के मंदिर से घाट तक जाते हुए एक सैलानी जोड़ा भी हमारे साथ हो लिया। शायद उन्हें लगा था कि हमारे साथ रहते हुए वे धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाए बिना दर्शन कर सकते हैं। वे हर बार हमसे पूछते कि  क्या  हम  भीतर जा सकते हैं, क्या यहां जूते उतारने होंगे,   यहां झुककर प्रणाम करना होगा।   तमाम जिज्ञासाएं वे हमारे साथ साझा करते हुए चल रहे थे । वे स्पेन से आए थे। बार्सिलोना से। हमने स्पेन की राजधानी का नाम लिया, मेड्रिड। तब दोनों ने हमें टोकते हुए कहा मद्रीद,