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क़रीब-क़रीब सिंगल या ऑलमोस्ट मुकम्मल

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क़रीब-क़रीब सिंगल पूरी तरह मुकम्मल मालूम फिल्म मालूम होती है। स्त्री-पुरुष के रिश्तों को इतने रोचक अंदाज़ में पिरोना कि देखनेवाला पूरे समय बस ठुमकती हुई हंसी हँसता रहे आसान नहीं है। इस गुदगुदाने के हुनर में इरफ़ान तो माहिर हैं ही पहली बार हिंदी फिल्म में नज़र आईं पार्वती भी कहीं उन्नीस नहीं  हैं। निर्देशक तनूजा चंद्रा हैं जिन्हें बरसों पहले से हम दुश्मन (फिल्म) के नाम से अपने ज़ेहन में बसाए हुए हैं पूरे 20 साल बाद फॉर्म में नज़र आई  हैं । इन बीस सालों में उनकी संघर्ष, सुर, ज़िन्दगी रॉक्स जैसी फ़िल्में आई लेकिन यह मनोरंजन की नई परि भाषा गढ़ती हैं। प्यारे से रिश्ते के अंकुर फूटने से पहले का मनोरंजन। इरफ़ान के अभिनय जितनी ही सरल सहज है क़रीब क़रीब सिंगल लेकिन जिस किरदार पर मेहनत हुई है वह जया का है। स्त्री होने के नाते तनूजा ने इस किरदार को बहुत ही बेहतरीन रंग दिया है। एक विधवा जो पति के नाम को पासवर्ड बनाकर अब भी उसी की यादों में जी रही है। योगी (इरफ़ान) यहीं तंज़ कसता है कि तुम लड़कियों का अजीब मामला है पति साथ रहे तो सरनेम वर्ना पासवर्ड। शौक से कवि और पेशे से फक्कड़ योगी और पेशे से बीमा अधिकारी और

पद्मावती, जोधा-अकबर आखिर तकलीफ क्या है?

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रानी पद्मावती और तोता हिरामन : तस्वीर गूगल से ही मिली  स्त्री अस्मिता से जुड़ी विरासत हम सबकी साझी है किसी एक समुदाय की नहीं। पद्मावती  केवल एक फिल्म है कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं। विरोध का ऐसा शोर बरपा है कि जैसे संजय लीला भंसाली कोई फिल्म  नहीं ला रहे  बल्कि इतिहास बदलने जा रहे हों।  फिल्म जोधा-अक़बर के साथ भी यही हुआ। फिल्म को राजस्थान में रिलीज़ ही नहीं होने नहीं दिया गया। आज घर- घर में टीवी पर ,इंटरनेट पर देखी जाती है। पहले देखो और फिर जो गलत नज़र आए उस पर गोवारिकर या भंसाली को दृश्यवार फटकार लगाओ।  ये विरोध कम  फिल्म को प्रचार देना ज़्यादा मालूम होता है। राजस्थान में पद्मावती को लेकर राजपूत और राजसी समुदाय तल्ख़ नज़र आ रहा है। तोड़-फोड़ की आशंका को देखते हुए यहाँ के वितरक भी फिल्म को  रिलीज़ नहीं करना चाह  रहे। शूटिंग के दौरान ही भंसाली करनी सेना के थप्पड़ खा चुके हैं। अहम् सवाल यही है कि हमें इन विषयों पर ही एतराज़ है या वाकई हमारा इतिहास से कोई लेना-देना है।  फिल्म को अनावशयक तूल देने की इस कवायद में आइये जानते हैं  सूफी संत कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने क्या कुछ बयां किया है। उनसे  जो