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दो तस्वीरें एक संघर्ष

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  इस लेख को लिखने का विचार शुक्रवार को अख़बार में पहले पन्ने पर प्रकाशित दो तस्वीरें हैं।  एक में देश की प्रथम नागरिक चुन लीं गईं द्रौपदी मुर्मू अपनी बिटिया इतिश्री  के हाथ से मिठाई खा रही हैं और दूसरी में सोनिया गांधी अपनी बेटी प्रियंका गांधी के साथ गाड़ी में बैठकर प्रत्यर्पण निदेशालय यानी ईडी के दफ्तर से लौट रही हैं। राजनीतिक धरातल पर दो बेहद विपरीत हालात के बावजूद ये दोनों स्त्रियां संघर्ष की बुलंद दस्तानों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्नीस साल की उम्र में इटली की एक लड़की का भारतीय लड़के से प्रेम कर बैठना और फिर खुद को पूरी तरह से लड़के के देश और परिवार के संस्कारों में ढाल लेना।  उसके बाद पहले लड़के की मां का गोलियों से छलनी हुआ शरीर देखना और  फिर कुछ ही सालों में उस लड़के को भी अलविदा कह देना जिसके आतंकी हमले में शरीर के हिस्से भी नहीं मिले थे।  ये  सोनिया गांधी हैं।  द्रौपदी मुर्मू भी संघर्ष का ही दूसरा नाम हैं। उनके बेहद अपने केवल चार साल के अंतराल में उनसे बिछड़ गए। पचीस साल के बेटे लक्ष्मण का शरीर उन्हें उसके कमरे में मिला और दूसरा बेटा 28 साल की उम्र में एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो ग

सांसद को रोकने से ज़्यादा असंसदीय क्या होगा

 असंसदीय शब्दों की सूची बाहर आई है साथ में  क्या कुछ और भी बाहर आया है ? आया है  सत्ता पर काबिज़ लोगों का डर। कुछ इस तरह  जैसे चोर की दाढ़ी में तिनका। शब्दों पर आपने रोक लगा दी लेकिन भाव और मुख मुद्राओं का क्या ? उन  पर कैसे प्रतिबन्ध लगेगा। मान लीजिये आपने बहुत ही संसदीय शब्द बहुत ही अभद्र भाव से कहे हों तब ? और तो और आपने किसी नेता को मूर्ख बोलने के लिए अल्प बुद्धि शब्द का प्रयोग कर लिया तब ? तानाशाह को आपने तन कर खड़ा शाह बोल दिया तब। ज़ाहिर है कुछ शब्दों पर प्रतिबन्ध लगा कर आप अभिव्यक्ति को नियंत्रित नहीं कर सकते। एक फिल्म में देव आनंद अपने साथियों को आगाह करने के लिए कह देते थे जॉनी पुलिस का आदमी है। शब्दों की फेहरिस्त पढ़ते हुए लगता है जैसे बात कहने के अंदाज़ और बहस से ही जैसे किसी को इंकार हो। अकबर के दरबार में बीरबल अपनी बात को पुख्ता तरीके से रखने के लिए अपनी बुद्धि के साथ नए-नए प्रयोग करते थे, कुछ वैसे ही तरीके सांसदों को भी अपनाने होंगे। आखिर उन्हें जनता ने चुन कर भेजा है और वह जनता की ही भाषा बोलते हैं। इन शब्दों के आलावा जीता हुआ सांसद लोक मुहावरे भी जानता है। यह मुद्दा इतना रोच