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है कोई 'आधार' मतदाता सूची को जोड़ने का

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 पिछले चार माह से बेटे को  कह रही थी तुम अठारह के हो चुके हो अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा लो लेकिन वह टाल रहा था। हाल ही जब नए मतदाताओं  को जोड़ने का संदेश फ़ोन पर आया तो मैंने उसे फिर याद दिलाया वह तपाक से बोला -"मां आधार है न अब क्या " जरूरत है वोटर आईडी की उसी से हो जाएगा मतदान।" मैं उसका चेहरा देखती रह गई कि ये दोनों अलग-अलग पहचान हैं कि एक से तुम्हारी नागरिकता, तुम्हारी उम्र, तुम्हारा अधिकार प्रमाणित होता है जो संवैधानिक इकाई प्रदान करती है  तो दूसरी ओर आधार सरकारी योजनाओं का अधिकाधिक लाभ आमजन तक कैसे पहुंचे उसके लिए दी गई पहचान है। बेशक यह उस दोहराव से बचाव करती है कि कोई एकाधिक बार इन योजनाओं का लाभ न ले ले लेकिन चुनाव में इसका इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के उस टिप्पणी का भी उल्लंघन है जिसमें आधार को निजता का हनन मानते हुए अनिवार्य नहीं किया जाना था । उसका स्वाभाविक सवाल था कि फिर यहां इसकी ज़रुरत क्या है और जो ज़रुरत है तो फिर इसी से पूरा मतदान क्यों नहीं ? बहरहाल बीते सोमवार को लोकसभा और मंगलवार को राज्यसभा में चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021 भारी शोरगुल और विरोध के बीच