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दिसंबर, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वीर्य से जीतना होगा शौर्य को

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  उस समाज में जहां मर्दानगी का एकमात्र पैमाना वीर्य हो वहां और उम्मीद की भी क्या जा सकती है। यह वीर्य किसी जाति, धर्म या समाज में छोटा-बड़ा नहीं बल्कि मर्द होने की पहली शर्त है।  सबसे पहले रोशनी ( जुझारू लड़की को दिया एक नाम) वह लड़की जो रविवार रात सोलह दिसंबर की रात छह लोगों की हैवानियत का शिकार हुई, उसके लिए प्रार्थना कि वह जल्दी स्वस्थ हो। उन हैवानों ने तो सामूहिक बर्बरता करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दुष्कर्म के बाद वह चलती हुई बस से सड़क पर फेंक दी गई। यह पहला मौका है जब पूरे देश में दुःख और दर्द की लहर दौड़ गई है। हर लड़की छली हुई महसूस कर रही है तो लड़का भी अपराधबोध से ग्रस्त हो गया है। वह बताना चाह रहा है कि कि हम इस दर्द में तुम्हारे साथ है। इसी का नतीजा है कि दिल्ली का इंडिया गेट इन हमदर्दों से भरा हुआ है। वे आ रहे हैं यह जानते हुए भी कि इस सरकार की मंशा जनरल डायर से कहीं कम नहीं है। जनरल डायर ने अमृतसर के जलियावाला बाग में आजादी के निहत्थे ऐसे ही परवानों पर गोलियां चला दी थीं। यह सरकार आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। यह भूलकर कि ये युवक-युवतियां अपने ही देश के नागरिक

छीजता कुछ नहीं

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मुकम्मल नज़र आती देह में रूह का छीजना मुसलसल  अधूरे चाँद का  पूरेपन की और बढ़ना मुसलसल  छीजता कुछ नहीं  न ही बढ़ता है कुछ  महसूसने और देखने के  इस हुनर में ही एक दिन  ज़िन्दगी हो जाती है मुकम्मलI