संदेश

दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सिनेमाई कला उम्मीद का गीत है, शोक गीत नहीं

द कश्मीर फ़ाइल्स फ़िल्म के बारे में देश पहले भी बात कर चुका है लेकिन अब दुनिया बात कर रही है। वह बात कर रही है उसके 'वल्गर प्रोपेगेंडा' यानी अश्लील किस्म के प्रचार पर और उसके बहाने सिनेमा की कला पर। यह फिल्म भारत में इसी साल मार्च में  रिलीज़ हुई थी और दर्शकों को आव्हान विशेष के साथ दिखाई भी गई थी ,कुछ राज्यों में करमुक्त भी हुई। उन दिनों हजारों दर्शक जब फ़िल्म देखकर सिनेमाघरों से निकल रहे होते तब  उनके चेहरे पर एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ गुस्सा होता और जुबां पर गालियां भी। जर्मनी में नाज़ियों द्वारा हुए नर संहार पर कई फ़िल्में बनीं लेकिन जिन फिल्मो को पूरी दुनिया में देखा और सराहा गया उनमें एक है स्टीवन स्पीलबर्ग की 'द शिंडलर्स लिस्ट' । फ़िल्में  उस नाज़ी व्यापारी की कहानी है, जो अपने बर्तनों के कारखाने में काम करने वाले यहूदियों को कैसे नाज़ी कहर से सुरक्षित और ज़िंदा रखने की बेहिसाब कोशिश करता है। वह भी तब जब वह खुद नाज़ी पार्टी का   सदस्य है। शुद्ध मुनाफ़े की जुगत में हुआ एक क़ारोबार कैसे चुपचाप, जान बचाने के मानवीय काम में लग जाता है जबकि  हुकूमत इन सबके ख़ात्मे का फरमान सुना