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लाल सलाम

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श्वेता भट्ट,इलिना सेन, जाग्रति पंड्या और चित्रा सिंह को उन पत्नियों को सलाम करने को जी चाहता है जो न्याय की राह में अपने पतियों के लिए डटी हुई हैं। निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने गुजरात सरकार से लोहा लिया है तो विनायक सेन की पत्नी इलिना सेन छत्तीसगढ़ में लड़ रही हैं। गुजरात ही के पूर्व गृहमंत्री हरेन पंड्या की पत्नी जागृति पंड्या भी अपने पति की हत्या के पीछे रची साजिश का पर्दाफाश करना चाहती हैं । ये वो पत्नियां हैं, जिन्होंने अपने पतिके संघर्ष को आगे बढ़ाया है। पढ़ी-लिखी पत्नियां, जिन्होंने अपने पति के पेशे की चुनौतियों को समझा। ऐसी हमसफर जो अपनी भूमिका को केवल चार दीवारी और चूल्हे-चौके तक सीमित नही करती। बेशक वे लाल साड़ी और लाल बिंदी में आपको नजर नहीं आएंगी, लेकिन उनका संघर्ष आपको लालिमा से ओत-प्रोत दिखेगा। भारत में ऐसी वैचारिक शादियों की परंपरा नहीं, लेकिन ऐसी कई महिलाएं अपने मोर्चों पर डटी हुई हैं। अगर ये न होतीं तो इनके पति की आवाज जेल की सलाखों में दबा दी गई होती या फिर उनकी हत्या के राज कभी खुल नहीं पाते। करवा चौथ का व्रत भी शायद ऐसे ही साथ की हिमायत

भंवरी से भंवरी तक

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kllled!! ! borunda jodhpur ki bhnvari devi jo shayad maar di gayee raped .. .bhabteri jaipur ki bhvari devi do dashak pahle hui thi balatkaar ki shikaar भंवरी से  भंवरी तक कुछ नहीं बदला .हुक्मरान बदलते गए और भंवरियों को पैरों त ले कुचलने  की  चेष्टाएँ  और मजबूत होती गयीं... बात जब महिलाओं की आती है तो हमारी हालत बांग्लादेश से भी बद्तरहै। न्यूजवीक पत्रिका के एक सर्वेक्षण में भारत को 141 वां स्थान मिला है। सर्वेक्षण में कल 165 देश शामिल थे। देश जो महिलाओं को सर्वाधिक अधिकार और श्रेष्ठ जीवन देते हैं उनमें आइसलैंड, स्वीडन, कनाडा और डेनमार्क का नाम है। टॉप-20 में एशिया का एक मात्र देश फिलिपीन्स है जिसे सत्रहवां स्थान मिला है। सच तो यह है कि हमें इन आंकड़ों की कोई जरूरत ही नहीं है। बस एक दिन का अखबार पढऩे की जरूरत है। पिछले एक सितम्बर से राजस्थान  के मुखिया के गृह जिले जोधपुर से एक सैंतीस वर्षीय दलित महिला गायब है। उसका पति गुहार लगाते हुए बच्चों सहित आत्महत्या की बात कह चुका है लेकिन  भंवरी देवी का कोई अता-पता नहीं है।  भंवरी के पति ने इस्तगासे में कहा है कि उसकी पत्नी ज

आदम और हव्वा

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माटी होने जा रही  देह को उस दिन क्या याद आएगा मोबाइल का ब्रांड कम्प्युटर की स्पीड या फिर वह कार जिसकी खरोंच भी    दिल पर लगती थी उसे याद आएंगी महबूब की आँखें जिसमें देखी थी उसने सिर्फ मोहब्बत माटी होते हुए भी वह मुकम्मल और  मुतमइन होगी कि उसने देखी थी मोहब्बत में समर्पित स्त्री एक पुरुष में .