आदम और हव्वा


माटी होने जा रही  देह को

उस दिन क्या याद आएगा
मोबाइल का ब्रांड
कम्प्युटर की स्पीड
या फिर वह कार
जिसकी खरोंच
भी 
 दिल पर लगती थी

उसे याद आएंगी
महबूब की आँखें
जिसमें देखी थी
उसने
सिर्फ मोहब्बत

माटी होते हुए भी
वह मुकम्मल
और 
मुतमइन होगी
कि उसने देखी थी
मोहब्बत में समर्पित स्त्री
एक पुरुष में .

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर.आखिरी पैरा कविता का चरम है.पाठक से जुड़ता हुआ सा.अंतःक्रिया करता.

    शुक्रिया.इसे पढवाने का.

    जवाब देंहटाएं
  2. उसने देखी थी
    मोहब्बत में समर्पित स्त्री
    एक पुरुष में.

    बहुत सुन्दर.

    जवाब देंहटाएं

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