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तीन शहर तीन मरीज़ और कोरोना

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कोविड-19 वायरस से जूझते हुए भारत को लगभग चार महीने बीत चुके हैं। हममें से कई जो अब तक न्यूज़ सुनकर ही परेशान और दुखी हो रहे थे अब उन्हें भी अपने परिचितों यां परिजनों के लिए कोरोना से टकराना पड़ रहा है। वे सब हालात से  परेशान और दुखी हैं।  आज आपसे  साझा हैं तीन शहरों के  तीन परिजनों से जुड़े  अपने  अनुभव। शहर अहमदाबाद मरीज़ अपनी बहूरानी को ऑफिस ड्रॉप करते  और लौट आते यानी उनकी जीवनचर्या केवल घर तक सीमित नहीं थी। बिलकुल स्वस्थ। उम्र अट्ठावन-साठ के आसपास। एक दिन खांसी और बुख़ार के लक्षण सामने आए ,फिर सांस लेने में तकलीफ़ हुई। सब मान के चल रहे थे कि यह  कोरोना का ही संक्रमण है लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव। फिर एक दिन सब ख़त्म। अस्पताल से देह भी ऐसी सील मिली जैसे खोली गई तो कोरोना देकर ही रुख़सत होगी।  शहर जयपुर  मरीज़ को हार्ट, शुगर की तकलीफ़ पहले ही थी। तबियत बिगड़ने पर अजमेर के अस्पताल ने जयपुर रैफ़र कर दिया। जयपुर के निजी अस्पताल ने मरीज़ को बाहर से  ही  सरकारी अस्पताल SMS  सवाई मानसिंह चिकित्सालय  रै फ़र  कर दिया जहाँ पहुँचते ही उनकी मृत्यु हो गई। कहा गया बॉडी तो कोरोना टेस्ट के बाद ही मिलेगी। नमूना ल