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भला काहे देखें पीपली लाइव

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क्योंकि फिल्म लीक हटकर है? कि सारे पात्र हकीकत की दुनिया से आये लगते हैं ? कि यह किसी भी महिला निर्देशक कि बेहतरीन फिल्म है? कि एक भी गीत ठूंसा हुआ नहीं लगता? कि यह यथार्थ का सिनेमा है और किसी को प्रेमचंद तो किसी को सत्यजीत रे याद आ रहे हैं ? नहीं इनमे से किसी के लिए भी पीपली लाइव मत देखिये.. .. इसे देखिये क्योंकि यह भारत कि सत्तर फीसदी आबादी का सिनेमा है. उस भारत की कहानी है जिसके पास रोज़मर्रा कि बेहिसाब मुश्किलें हैं और जिसे मौत,ज़िन्दगी से आसान लगती है .... वेरा नौ साल की है। हिंदी की मैम ने उसकी पूरी क्लास से अपनी पसंद·की एक कविता लिखकर लाने के लिए कहा। वेरा ने पापा से जिद की  मुझे वही कविता चाहिए। ये बच्चा   किसक  बच्चा है जो रेत पे तन्हा बैठा है न उसके  पेट में रोटी है न उसके तन पर कपड़ा है.. पिता ने इब्ने इंशा की वह कविता वेरा को लिख दी। वेरा ने भी उसे याद कर लिया। मैम के सामने कविता रखते हुए वेरा की आंखें चमक रही थीं। लेकिन मैम ने घूर कर वेरा को देखा- ‘यह क्या भिखारी पर कविता लिख लाई। यह नहीं चलेगी’। वेरा की आंखें बुझ गईं। वह पूरे समय क्लास में उदास बैठी रही। देस मेरा