संदेश

अप्रैल, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ज़्यादा बच्चे, घुसपैठिये और मंगलसूत्र

चित्र
 दूसरे चरण के मतदान के साथ ही लोकसभा चुनावों की यह जंग दिलचस्प दौर में पहुंच गई है। अब तक फीके और एकतरफा मालूम होते चुनावों में जैसे जान पड़ गई हो। विपक्ष जो कहीं दिख नहीं रहा था प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ज़िक्र कर उसे लड़ाई में ला दिया है। मुद्दों के बिना बहस क्या, बहस के बिना लोकतंत्र क्या और लोकतंत्र के बिना चुनाव के मायने क्या। मोटे तौर पर अब कोई मुद्दा बड़ा इसलिए बन गया है क्योंकि प्रधानमंत्री ने उसे उठा दिया है। वे कह रहे हैं कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीन कर आपका मंगलसूत्र भी उतार लेगी। यह नरेंद्र मोदी की खूबी है कि मुद्दे को अपनी तरफ मोड़ने के लिए ऐसा वाक्य विन्यास रचते हैं कि जनता के दिल में उतर जाता है। पीएम का कहना कि ज़्यादा बच्चों वालों को आपकी जमापूंजी बांट दी जाएगी से भी ज़्यादा  मंगलसूत्र आम जनता को कनेक्ट करता है। एक वर्ग को घुसपैठियों और ज़्यादा बच्चों वाला कह देना और कांग्रेस आपकी संपत्ति हड़पकर इन्हें दे देगी वाला भाषण राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा में कोई मायने नहीं रखता लेकिन मुद्दा चैनलों को रात नौ बजे के लिए मिला बढ़िया अस्लहा था । अब इससे हुआ यह कि जिस घोषण

इन्हें मज़हब जानना है उन्हें जाति

चित्र
मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है;  धर्म निजी आस्था का विषय है; धर्म को अपनी आस्तीन पर पहनने की क्या ज़रुरत है, अक्सर विद्वानों से हम ऐसी बातें सुनते हैं लेकिन क्या  वाकई  इन बातों के कोई मायने हैं और क्या कोई है जो इस दौर में ऐसे पाठ पढ़ने और पढ़ाने में दिलचस्पी रखता हो ? जो नया पाठ पढ़ाया गया है वह यह कि पैदा होते ही बच्चे का धर्म  लिखो।  अब अस्पताल में आंख खोलते ही बच्चे के साथ ही उसके माता-पिता का धर्म भी दर्ज़ होगा (अगर वे अलग-अलग धर्म के अनुयाई हैं तो वह भी) और वही फिर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के साथ,मतदाता सूची,आधार संख्या, संपत्ति जैसे तमाम दस्तावेजों में अपडेट हो जाएगा। संभव है कि इससे सरकार किसी डेटा की तलाश में हो और वह धर्म विशेष के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाकर  देश की तस्वीर बदल देना चाहती हो। सवाल यही है कि सरकार को आखिर संप्रदाय क्यों जानना है और विपक्ष की जाति में दिलचस्पी क्यों है। ऐसा लगता है कि दोनों में से कोई भी नागरिक को उसके असली अधिकार नहीं देना चाहता। पहले जाति -धर्म पूछेंगे फिर तुम्हारे लिए काम करेंगे। वोट के लिए सियासत की दुनिया इसी स्तर पर उतर आई है।   आज जो नज़र आ रहा