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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कहां है भारतीयता ?

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image : savita pareek     गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर बस एक ही ख्याल मन में विचरता दिख रहा है कि आख़िर यह भारतीयता है क्या कहाँ बस्ती है ये? किसी को दर्शन करना हो तो कहाँ जाए? क्या वह भारतीयता थी जब कबीर अपनी वाणी से ऐसा महीन दोहा रचते थे जो मानवता को पहली पंक्ति में ला खड़ा करता था।  झीणी चदरिया बुनते-बुनते कबीर मानवीय गरिमा को जो ऊंचाई दे गए वह हम जैसों पर  आज भी किसी छत्र-छाया सी सजी हुई है।  पाथर पूजे हरी मिले तो मैं पूजूँ पहाड़  घर की चाकी कोई ना पूजे जाको पीस खाए संसार या फिर भारतीयता  कबीर नाम के उस  बालक में है जो मिशनरी स्कूल के समारोह में फ़ादर के पैर छू लेता है और ऐसा वहां कोई दूसरा नहीं करता। कबीर की बुनी चदरिया की छाया से आगे जो चलें तो देखिये बापू क्या कहते हैं-"मुझे सब जगह चरखा ही चरखा दिखाई देता है क्योंकि मुझे सब जगह ग़रीबी ही दिखाई देती है। मैंने चरखा चलाना सांप्रदायिक  धर्मों से कहीं श्रेष्ठ  माना है। यदि मुझे माला और चरखा में से किसी एक को चुनना हो तो जब तक देश ग़रीबी और फ़ाकाकशी से पीड़ित है तब तक मैं चरखा रूपी माला फेरना ही पसंद करूँगा।  भारतीयता फिर

बार डांसर की रोज़ी से सरकार को क्या ?

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रोजी सबका हक है  फिर चाहे वह नाचकर ही क्यों न कमाई जा रही हो….   बुरा लगता  है  तो इस अनपढ़,बेबस,लाचार आबादी को काम दीजिये उसके बाद इस पेशे को  जी भरकर कोसिये …मेरी  राय में तो यदि पुरुषों  के नाच में महिलाओं को आनंद आता है तो उन पुरुषों को  भी   पूरा हक़ है कि वे अपने पेशे को जारी रखें फ़र्ज़ कीजिये कुछ महिलाएं एक डांस बार में पुरुषों के नाच का आनंद ले रही हों और उन्हें टिप भी देती हों और उनके ठुमकों पर खुश भी हो रही हों। पुरुष युवा हैं और उन्हें इस पेशे से अच्छी आय हो रही है। यूं भी नौकरी कहां आसानी से नसीब होने होती है। ऐसे में क्या पुरुष डांसर्स से केवल इसलिए उनका काम छीन लिया जाना चाहिए क्योंकि यह कुछ को अनैतिक लगता है। क्या यह एक पर्याप्त कारण है किसी से उसका रोज़गार ले लेने का जो वह दिन भर के दूसरे काम के बाद बतौर पार्ट टाइम अपनी शाम की पाली में करता है। यह काम उसे अतिरिक्त आय मुहैया करता है और शायद नाचने के उसके शौक को एक मंच भी।  इस काम से वह अपने परिवार को बेहतर जीवन शैली देता है। और जो यहाँ पुरुष की जगह महिलाएं हो तो क्या हमारी नैतिकता को कुछ ज़्यादा ठेस लगती है ? क्यो

नमो रागा के एक से राग

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राहुल गाँधी ने रक्षा मंत्री में पहले जेंडर देखा और फिर उसे भी कमतर देखा वर्ना वे ये नहीं कहते कि " चौकीदार लोकसभा में पैर नहीं रख पाया।  और एक महिला से कहता है कि निर्मला सीतारमण जी आप मेरी रक्षा कीजिए, मैं अपनी रक्षा नहीं कर पाऊंगा।  आपने देखा कि ढाई घंटे महिला रक्षा नहीं कर पाई। '' यह बयान हमारे ही शहर जयपुर में कांग्रेस अध्यक्ष  राहुल गाँधी  ने किसान रैली को सम्बोधित करते हुए दिया। इसके बाद  राष्ट्रीय महिला आयोग ने नोटिस जारी कर राहुल गाँधी से जवाब माँगा है।  उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था लेकिन क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कहना चाहिए था कि वह कांग्रेस की  कौनसी विधवा (सोनिया गाँधी ) थी जो रूपए लेती थी ,या फिर यह कि क्या किसी ने 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड (शशि थरूर की पत्नी सुनन्दा पुष्कर के लिए तब उनकी शादी नहीं हुई थी ) देखी है या फिर रेणुका चौधरी के लिए यह कहना कि आज बहुत दिनों बाद रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का मौका मिला है।  ज़ाहिर है ये कोई सद्वचन नहीं हैं जो मोदी जी ने कहे थे। आशय रावण की बहन शूर्पणखा की और था। यही राहुलजी भी कर गए। महिला आयोग क