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जनता के खिलाफ द्रोह से डरो सरकारो

 कानून 124 A पर सरकार पुनर्विचार करे इससे पहले एक मजबूत विचार सुप्रीम कोर्ट ने रख दिया है।  अब इस कानून के तहत नए मामले दर्ज़ होना स्थगित रहेगा ,जो जेल में हैं वे ज़मानत के लिए अपील कर सकते हैं। वाकई एक बड़ा दिशा निर्देश उन पत्रकारों , कॉमेडियंस ,मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए जो सत्ताधारी दल के निशाने पर केवल इसलिए होते क्योंकि वे अपनी राय रख रहे होते  हैं। वे  तोते की तरह नहीं बोलते जो अपने आकाओं की खुशामद में अपना विवेक अपना ज़मीर ताक पर रखकर चलता है। 1860का यह कानून अंग्रेज़ी हुकूमत की देन था एक अंग्रेज इतिहासकार जिसे हम थॉमस मैकाले के नाम से जानते हैं। जिसकी शिक्षा प्रणाली को हम कोसते नहीं थकते उसी कानून को हम आज़ादी के अमृत महोत्सव तक खींच कर ले आए हैं सिर्फ इसलिए कि असहमत की आवाज़ दबा सकें, उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट ला सकें ,जेल में सड़ा सकें। महात्मा गांधी ,बाल गंगाधर तिलक ,भगतसिंह, सुखदेव ,जवाहर लाल नेहरू जैसे कई देशभक्त इस राजद्रोह कानून के तहत जेल में डाले  जा चुके हैं।  अब जब कानून मंत्री किरण रिजिजू लक्ष्मण रेखा याद दिला रहे हैं तो सरकार की मंशा पर भी संदेह झलकता दिखाई