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कितने संविधान हैं हमारे देश के ?

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वह गाँव जहाँ लड़की के साथ ऐसा हुआ  ये जिला बीरभूम, जो बदकिस्मती से हमारे राष्ट्रपति का गृह जिला भी है, संविधान की धज्ज्यियां   उड़ाने वाला जिला बनकर सामने आया है। एक  लड़की  के  पड़ोसी, नाते-रिश्तेदार केवल इसलिए उसके  साथ बलात्कार  करने के  लिए छोड़ दिए जाते हैं, क्योंकि  उसने एक  गैर-आदिवासी के  साथ प्रेम किया था और इस प्रेम के  अपराध के  भुगतान के  लिए उसके  पास 25000  रुपए नहीं थे। लानत है ऐ से निजाम पर, जो संविधान लागू होने के 64 बरस बाद भी अमानुषिक  फरमान सुनाता है। पंचायतें, खाप पंचायत सालिशि सभा आखिर क्यों चल रही हैं अब भी? किस हक से ये घोर अमानवीय फैसले सुनाते हैं? कितने संविधान हैं हमारे देश के ? उस बीस साल की  लड़की  के साथ हुई हैवानियत की कल्पना की जिए। एक के  बाद एक  वे तेरह पुरुष जिनमें से किसी को  वह भाई तो किसी को चाचा कहती थी, बलात्कार करते रहे। उस वक्त वह उनके  सामने एक  इनसान नहीं बल्कि  उपभोग की  सामग्री थी। तेरह तो एक  आंकड़ा बताया जा रहा है वह लड़की  तो कहती है मुझे नहीं मालूम उस रात मेरे साथ कितनी बार ऐ सा हुआ।    पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिल

आधुनिकता का सनक से कोई लेना-देना नहीं

वह पढ़ी-लिखी काम-काजी लड़की  है। साल 2006  के  आसपास उसकी  एक  लड़के  से ऑन लाइन चैटिंग शुरू होती है। मुलाकातें होती हैं। लड़का  पंजाब का  और लड़की दिल्ली की  है। मुलाकातें नजदीकियों में बदलती हैं  और दोनों के  बीच इस समझ के  साथ कि  शादी कर लेंगे पति-पत्नी से रिश्ते बन जाते हैं। 2008 में लड़की  गर्भवती हो जाती है तब लड़का  यह कह कर गर्भपात कराने पर जोर देता है कि  पहले बहनों की  शादी हो जाए फिर वे दोनों शादी कर लेंगे। ऐसा कुछ नहीं होता और मई 2011 में थाने में लड़की  मुकदमा दर्ज कराती है कि  लड़का  शादी का  वादा क र उसका  देह शोषण करता रहा। यह मामला भी रोज दर्ज होने वाले ऐ से मुकदमों में से एक बनकर रह जाता अगर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट उसे बरी नहीं करते। जज ने कहा कि  शादी के  वादे पर बने संबंध बलात्कार  नहीं होते। लड़की  पढी-लिखी, समझदार और कामकाजी है उसे समझना चाहिए कि  वह रिस्क  उठा रही है। कोई गारंटी नहीं है कि  वह लड़का  वादा पूरा करे। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि  शादी से पहले सेक्स की इजाजत कोई  धर्म नहीं देता और लड़की को  समझना चाहिए कि  यह अनैतिक  है।