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सरोगेसी : 'फिलहाल' अकेली और अविवाहित को नहीं है इजाज़त

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गैरज़रूरी राजनीतिक बहसों और अनर्गल प्रलाप के बीच भी नागरिक के अधिकार और व्यवस्था के बीच निरंतर बहस चलती रहती है और इसका नतीजा होता है कि धीरे-धीरे ही सही नागरिक को उसके अधिकार मिलते  जाते  हैं । देश में सरोगेसी कानून ने लम्बी दूरी तय की है। अपने खुद के बच्चे को कुदरती तौर जन्म देने में असमर्थ माता -पिता  सरोगेसी  तकनीक का सहारा लेते हैं। इसमें मां के अंडे (एग) और पिता के शुक्राणु का बाहर फर्टिलाइजेशन करवा कर भ्रूण को किसी स्वस्थ स्त्री के शरीर में रख दिया जाता है जो नौ महीने बाद एक करार के तहत बच्चे को उसके माता -पिता को सौंप देती है। जब ऐसा सब आज़ादी के साथ हो रहा था भारत दुनिया का ' सरोगेसी हब' देश बन चुका था। देश दुनिया से जोड़े यहाँ आकर बच्चे की ख्वाहिश पूरी कर रहे थे। देश के कुछ शहर तो किराए की कोख की व्यावसायिक  राजधानी बन चुके थे। इसकी दिक्कतों को समझते हुए पहले इसमें संशोधन हुआ और हाल ही में  सरोगेसी  (नियमन) अधिनियम 2021 में  एक और संशोधन केंद्र सरकार ने किया है जिसके   मुताबिक अब   सरोगेसी से  बच्चा चाहने वाली तलाकशुदा और विधवा महिलाएं स्पर्म (शुक्राणु) या एग (अंडाशय) बा

सरोगेसी कानून- 'फिलहाल' सब ठीक नहीं है

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  "अगर आप में सामर्थ्य है कि आप किसी को खुशियां दे सकते हैं तो फिर देर मत कीजिये। दुनिया को इसकी ज़रुरत है "-जर्मनी केंट   सरोगेसी शब्द लेटिन भाषा से आया है।  सरोगेट  का अर्थ है विकल्प या विस्थापन, किसी एक की जगह दूसरे का विस्थापन। सरोगेट मदर्स यानी वे माताएं जो दूसरे का गर्भ अपने भीतर रखती हैं और फिर बच्चे के जन्म के बाद उसके माता पिता को सौंप देती हैं,  जिन्होंने उससे करार किया था। ऐसा अपनी भावनाओं,हार्मोन्स के ख़िलाफ़ जाकर करना होता है फिर भले ही करार आपने अपनी मर्ज़ी से क्यों ना किया हो। कुछ समय पहले तक इस करार के एवज में गर्भ में रखने वाली  सरोगेट मदर को पैसा और देखभाल दोनों मिलती थी,अब कानूनन ऐसा संभव नहीं है।  व्यावसायिक सरोगसी अब अपराध हैं जिसके दंड स्वरुप दस साल की सजा और दस लाख रुपयों का जुर्माना हो सकता है। इससे पहले  भारत 'सरोगेसी हब' के बतौर दुनिया में उभरने लगा था। दुनिया भर के जोड़े फिर चाहे वे समलैंगिक हो या सामान्य, पति -पत्नी जो माता-पिता नहीं बन पा रहे थे, भारत का रुख कर रहे थे। यहां  तक की अकेली ,तलाकशुदा और विधवा महिलाएं भी संतान की चाहत में  सरोगेसी क