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क्या मुंशी प्रेमचंद की कल्पना में होंगे उन्नाव के ऐसे रसूख़दार

महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म जिला उन्नाव। उन्नाव मेरे भीतर इसी रूप में अंकित है लेकिन मैं पूरे यकीन से  कह सकती हूँ कि इस ज़िले की बेटी  के साथ जो भयावह अपराध हुआ है, रसूख़दारों के ऐसे जघन्यतम व्यवहार की कल्पना ख़ुद प्रेमचंद ने  भी नहीं होगी। कैसे समाज में तब्दील हो रहे हैं हम ? निर्भया बलात्कार के बाद मर जाती है और उन्नाव की यह बेटी सामूहिक बलात्कार के बाद किसी तरह बच जाती है तो सत्ता और तंत्र उसे अपने पहियों तले रौंद डालने  में  कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ते । यह लड़ाई एक ग़रीब परिवार और ताकतवर की लड़ाई है जिससे हारना मानवता की मौत होगा। तुम ज़िंदा रहना उन्नाव की बेटी।  अफ़सोस बस गहरे तक अफ़सोस। कुछ ना कर पाने का अफ़सोस।