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डॉक्टर कोटनिस के देश में अस्पताल से डरते मरीज

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   पवित्र पेशे से जुड़े ये अनुभव महज दो शहरों और दो अस्पतालों के नहीं हैं बल्कि भारत के हर शहर में हर किसी के हो सकते हैं।अस्पताल  मॉडर्न मेडिकल साइंस के  केंद्र हैं लेकिन यहां जाने  से पहले मनुष्य डरने लगा है उसका विश्वास डगमगाने लगा  है। ऐसा उस देश में हैं जहाँ के एक डॉक्टर द्वारकानाथ शांताराम कोटनिस ने दूसरे देश में सेवाएं देते हुए अपनी जान कुरबान कर दी थी। आखिर क्या है जो इस पेशे को यूं भरोसा खो देने की कगार पर ले आया ? अपनी बात रखने से पहले यह डिस्क्लेमर ज़रूरी है कि कई चिकित्सक ऐसे हैं जो इस पेशे की आबरू भी बचाए हुए हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि ये अच्छे डॉक्टर भी बाजार के दबाव में कसमसा रहे हैं लेकिन कोई चारा न देखक कुव्यवस्था के चक्रव्यूह में घिर गए हों  करीब महीना हुआ होगा घर की बालकनी से चमकता हुआ बड़ा -सा साइन बोर्ड  दिखाई दिया निविक हॉस्पिटल। तसल्ली हुई कि चलो एक अस्पताल घर के पास ही हो गया। यह शुक्रवार सुबह की बात है बेटे का कॉल आया कि उसका एक्सिडेंट हो गया है एक अंधे मोड़ पर कार ने उसे टक्कर मारकर गिरा दिया। कारवाले ने उसी कॉल पर  दबाव बनाया कि आपके बेटे कि गलती है आप मेरे नुकसान