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अभिजीत के नोबेल के साथ कुछ और भी आया है

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अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो   को अर्थशास्त्र का नोबेल मिलना बेशक़ भारतवासियों के लिए बड़ी ख़ुशख़बर है और यह ऐसे समय आई है जब एक पक्ष पूरी तरह से यह स्थापित करने में क़ामयाब हो रहा था कि एक अच्छा इवेंट कर लेना ही  दुनिया में   भारत  का   डंका बजने का प्रमाण है । लोगों की भीड़ अगर किसी की हर अदा पर  जो फ़िदा हो तो वही सही है, वही सिद्ध है। टीवी चैनलों की बहस में रात को चार-छः लोगों को बैठाकर जो मुद्दा चीख़ चीख़ कर बना दिया जाए, वही मुद्दा है बाक़ी सब ज़रूरतें बेकार हैं ,खामखां हैं। ऐसे में जब कोई सर खुजाते हुए कहीं अफ़सोस या तकलीफ़ भी ज़ाहिर करना चाह रहा होता तो उसे कोई तवज्जो नहीं, महत्व  नहीं । आजू-बाजू के लोग भी उसे गरिया देते तो वह  तकलीफ़ से और घुटने लगता।  उसके  मन की बात के लिए कोई मंच नहीं था । उसे यह भी अहसास होने लगा था कि एक वही इस तरह से क्यों सोच रहा है। लोग तो नोटेबंदी से भी ख़ुश हैं, पकोड़े तलने की बात से भी और प्रतिष्ठित JNU को टुकड़े-टुकड़े गैंग बता कर भी। मॉब लिंचिंग ,दुष्कर्म , NRC जो कि नागरिकता का राष्ट्रिय रजिस्टर है उस पर गंभीर चिंतन की बजाय  दो फाड़ कर देने के मक़स

जोकर के पंच हंसाते नहीं दिल पर लगते हैं

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joker movie : a still from the film फ़िल्म जोकर देखी । हॉलीवुड सिनेमा के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं इसलिए सीधे जो देखा उसी पर बात  करूंगी। जोकर के क़िरदार में वॉकीन फीनिक्स की अभिनय कला काफ़ी ऊंचे पायदान पर जाती दिखाई देती है। आँख, नाक, होंठ के साथ  जोकर का समूचा शरीर अभिनय में दक्ष है। यह काबीलियत जोकर को नई लयताल में पेश करती  है। बेशक वह अपने दुखी पलों में सबसे ज़्यादा हंसना और हँसाना चाहता है।  इस कलाकार का नाच भी दर्शक को मुग्ध रखता है। ख़ासकर जो सीढ़ियों पर है , उन्हीं सीढ़ियों पर जिन पर कभी वह थक कर चढ़ता था। ऑर्थर फ्लेक यही नाम है उस ग़रीब नौजवान का जो अपनी बुज़ुर्ग माँ के साथ रहता है। माँ का ध्यान रखता है,वक़्त पर दवा देता है ,खाना खिलाता है और नहलाता भी है। ऑर्थर को कुछ मानसिक बीमारियां है जिसका इलाज सामाजिक संस्था और अस्पताल मिलकर करते हैं। वह मसखरा है और छोटा-मोटा काम भी उसे मिला हुआ। वह साधन संपन्न नहीं फिर भी सदा मुस्कुराते हुए जीवन के महासमर को पार करने का माद्दा रखता है। एक दृश्य में ऑर्थर बस में सवार है ,एक नन्हीं बच्ची उसकी ओर उदास निगाहों से देख रही है। आदतन वह