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एक हिन्दू एक मुसलमान

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महात्मा गांधी को भले ही नोबेल शांति पुरस्कार ना प्रदान किया गया हो, लेकिन जिन्हें दिया गया है, वे उन्हीं के पदचिह्नों पर चले हैं। पुरस्कार उन हजारों हजार सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्पंदित कर गया है, जो देश  दुनिया के हालात बदलने की ख्वाहिश रखते हैं।  कैलाश ही क्यों, मदर टेरेसा कुष्ठ रोगियों के घाव सहलाती हैं, सुंदरलाल बहुगुणा पेड़ों से चिपककर चिपको आंदोलन चला देते हैं। मेधा पाटकर गांवों को डूब से बचाने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन खड़ा कर देती हैं। बाबा आमटे मध्य प्रदेश के बड़वानी में नर्मदा किनारे रोगियों की सेवा करते हुए ही प्राण त्याग देते हैं। पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र को राजस्थान सरकार पानी पर कार्यशाला के दौरान सितारा होटल में ठहराना चाहती है लेकिन वे गेस्ट हाउस में सादा कमरा ही चुनते हैं। इन बेहद सादा तबीयत लोगों के पास अपने लक्ष्य हैं जो इन्हें स्पंदित रखते हैं। महात्मा गांधी को भले ही नोबेल शांति पुरस्कार ना प्रदान किया गया हो, लेकिन जिन्हें दिया गया है, वे उन्हीं के पदचिह्नों पर चले हैं। पुरस्कार उन हजारों हजार सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्पंदित कर गया है, जो देश  दुनिय