भंवरी से भंवरी तक
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kllled!!!borunda jodhpur ki bhnvari devi jo shayad maar di gayee |
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raped ...bhabteri jaipur ki bhvari devi do dashak pahle hui thi balatkaar ki shikaar |
बात जब महिलाओं की आती है तो हमारी हालत बांग्लादेश से भी बद्तरहै। न्यूजवीक पत्रिका के एक सर्वेक्षण
में भारत को 141 वां स्थान मिला है। सर्वेक्षण में कल 165 देश शामिल थे।
देश जो महिलाओं को सर्वाधिक अधिकार और श्रेष्ठ जीवन देते हैं उनमें
आइसलैंड, स्वीडन, कनाडा और डेनमार्क का नाम है। टॉप-20 में
एशिया का एक मात्र देश फिलिपीन्स है जिसे सत्रहवां स्थान मिला है।
सच तो यह है कि हमें इन आंकड़ों की कोई जरूरत ही नहीं है। बस एक दिन
का अखबार पढऩे की जरूरत है। पिछले एक सितम्बर से राजस्थान के मुखिया के गृह जिले जोधपुर से एक सैंतीस वर्षीय दलित महिला गायब है। उसका पति गुहार लगाते हुए बच्चों सहित
आत्महत्या की बात कह चुका है लेकिन भंवरी देवी का कोई अता-पता नहीं है। भंवरी के पति ने इस्तगासे में कहा है कि उसकी पत्नी जालीवाड़ा पीपाड़ में
बतौर नर्स कार्यरत थी। उसने मनचाहे स्थान पर तबादला करवाने के लिए
मंत्री से संपर्क किया। मंत्री ने उसका तबादला तो करवा दिया, लेकिन इसके
बाद फोन कर भंवरी देवी को बुलाने लगे। उसकी आपत्ति जनक सीडी तैयार
करवाई और ब्लैकमेल कर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस डर से कि
कहीं पोल न खुल जाए बाद में भंवरी देवी का अपहरण कर लिया गया और
सम्भवत: उसकी हत्या कर दी गई। इस पूरे प्रकरण पर निगाह डाली
जाए तो जांच का जो तरीका इख्तियार हुआ है वह सिवाय टाल-मटोल के
कुछ नहीं। अव्वल तो यही एक खतरनाक स्थिति है कि तबादला
करवाना है, मंत्रीजी के पास पहुंच जाओ। ये मंत्री तबादला चाहने वालों से
मिलते ही क्यों हैं? तबादले उम्र, लिंग और संबंधों के आधार पर होते हैं या योग्यता, स्थान विशेष पर व्यक्ति की जरूरत के आधार पर? यह स्थापित सत्य है कि नेता के पास पहुंच जाओ,
तबादला हो जाएगा या रुक जाएगा। हमारे बीच कई लोग हैं जो मंत्री से परिचय को अपनी शान समझते हैं। अपना आदमी है जो कहेंगे हो जाएगा, ऐसी शेखी बघारने वाले हम आप ही हैं।
परिचय के इस खेल में एक गिरोह तैयार होता है जो सैटिंग के आधार पर
सब कुछ कराना चाहता है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को हवा देना चाहता है।
ऐसे में नैतिकता जैसे सवाल मंत्रालय, पुलिस थानों की देहरी पर ही छोड़ दिए
जाते हैं। लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता अब कहां जो रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ देते थे। पद पर रहते हुए जांच प्रभावित होगी इससे कौन इनकार कर सकता
है। इस मामले में आरोपी मंत्री महिपाल मदेरणा पद पर ही बने हुए हैं। भंवरी देवी के मामले में पुलिस
अकर्मण्य और संवेदनशून्य रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जोधपुर उच्च
न्यायालय में तलब हुए हैं। पुलिस ने साक्ष्य देने वालों को इनाम की घोषणा
कर दी है। क्या होता है इनाम? कोई आओ और हमें बताओ कि इस महिला
का अपराधी कौन है। वह कोई डाकू गब्बर सिंह है जो जनता उसका पता
बताने के लिए आगे आएगी। यह तो सीधे-सीधे अपनी असफलता का ढिंढोरा पीटना है। पुलिस की संवेदना पर तो इंदौर की एक घटना इंसानियत का सिर झुकवा देती है। रेलवे प्लेटफॉर्म पर एक मासूम से पुलिस ने सौ रुपए में कटा हुआ सर उठाने के लिए कहा और काम हो जाने पर पैसे भी नहीं दिए।हमारी पुलिस आज भी अंग्रेजों के जमाने की पुलिस कहलाती है लेकिन
हालात यह है कि ब्रिटेन में हर मामला दर्ज किया जाता है फिर चाहे वह पहली
नजर में ही बेहद कमजोर क्यों ना हो। पुलिस स्वविवेक से फैसला करती है।
नेता और न्यायालय का उस पर इस कदर अविश्वास नहीं होता। यहाँ तो पूरा शिकंजा है. हमने
पुलिस के विवेक और कार्रवाई को कभी विश्वसनीय नहीं माना। गर्दन
फंसने पर सीबीआई का नाम लेने लगते हैं। खामियों का लंबा सिलसिला
मौजूद है। महिलाओं को बेहतर जीवन देने के अधिकार इन खामियों के बीच
जब-तब कुचलते चले जाते हैं। भंवरी से भंवरी तक कुछ नहीं
बदला है। दो दशक पहले भटेरी की भंवरी देवी [जिला जयपुर] की भंवरी देवी के साथ दुष्कर्म
हुआ था। उन्होंने ऊंची जाति का एक बालविवाह रुकवाया था। वह साथिन
थीं और सरकारी दायित्व पूरा कर रही थी। सबक सिखाने के लिए सामूहिक
बलात्कार किया गया। उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है। नेता से न्यायालय
तक सबने उन्हें ही दोषी माना। न्यायलय कि तो टिपण्णी थी कि कोई ऊंची जातवाला नीची जातवाली के साथ बलात्कार कैसे कर सकता है ? जोधपुर की भंवरी देवी तो अपने साथ हुए
अन्याय को बताने के लिए भी नहीं है। वह जिंदा है या मार दी गईं, यह भी नहीं
मालूम। कोई लेगा इसकी जिम्मेदारी कि राज्य की एक नागरिक कहां हैं?
वह कैसी थी, उसका आचरण कैसा था इन सब बातों से परे यह महत्वपूर्ण है
कि वह गायब कर दी गई है और इस षड्यंत्र में पूरी व्यवस्था शामिल है।
में भारत को 141 वां स्थान मिला है। सर्वेक्षण में कल 165 देश शामिल थे।
देश जो महिलाओं को सर्वाधिक अधिकार और श्रेष्ठ जीवन देते हैं उनमें
आइसलैंड, स्वीडन, कनाडा और डेनमार्क का नाम है। टॉप-20 में
एशिया का एक मात्र देश फिलिपीन्स है जिसे सत्रहवां स्थान मिला है।
सच तो यह है कि हमें इन आंकड़ों की कोई जरूरत ही नहीं है। बस एक दिन
का अखबार पढऩे की जरूरत है। पिछले एक सितम्बर से राजस्थान के मुखिया के गृह जिले जोधपुर से एक सैंतीस वर्षीय दलित महिला गायब है। उसका पति गुहार लगाते हुए बच्चों सहित
आत्महत्या की बात कह चुका है लेकिन भंवरी देवी का कोई अता-पता नहीं है। भंवरी के पति ने इस्तगासे में कहा है कि उसकी पत्नी जालीवाड़ा पीपाड़ में
बतौर नर्स कार्यरत थी। उसने मनचाहे स्थान पर तबादला करवाने के लिए
मंत्री से संपर्क किया। मंत्री ने उसका तबादला तो करवा दिया, लेकिन इसके
बाद फोन कर भंवरी देवी को बुलाने लगे। उसकी आपत्ति जनक सीडी तैयार
करवाई और ब्लैकमेल कर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस डर से कि
कहीं पोल न खुल जाए बाद में भंवरी देवी का अपहरण कर लिया गया और
सम्भवत: उसकी हत्या कर दी गई। इस पूरे प्रकरण पर निगाह डाली
जाए तो जांच का जो तरीका इख्तियार हुआ है वह सिवाय टाल-मटोल के
कुछ नहीं। अव्वल तो यही एक खतरनाक स्थिति है कि तबादला
करवाना है, मंत्रीजी के पास पहुंच जाओ। ये मंत्री तबादला चाहने वालों से
मिलते ही क्यों हैं? तबादले उम्र, लिंग और संबंधों के आधार पर होते हैं या योग्यता, स्थान विशेष पर व्यक्ति की जरूरत के आधार पर? यह स्थापित सत्य है कि नेता के पास पहुंच जाओ,
तबादला हो जाएगा या रुक जाएगा। हमारे बीच कई लोग हैं जो मंत्री से परिचय को अपनी शान समझते हैं। अपना आदमी है जो कहेंगे हो जाएगा, ऐसी शेखी बघारने वाले हम आप ही हैं।
परिचय के इस खेल में एक गिरोह तैयार होता है जो सैटिंग के आधार पर
सब कुछ कराना चाहता है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को हवा देना चाहता है।
ऐसे में नैतिकता जैसे सवाल मंत्रालय, पुलिस थानों की देहरी पर ही छोड़ दिए
जाते हैं। लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता अब कहां जो रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ देते थे। पद पर रहते हुए जांच प्रभावित होगी इससे कौन इनकार कर सकता
है। इस मामले में आरोपी मंत्री महिपाल मदेरणा पद पर ही बने हुए हैं। भंवरी देवी के मामले में पुलिस
अकर्मण्य और संवेदनशून्य रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जोधपुर उच्च
न्यायालय में तलब हुए हैं। पुलिस ने साक्ष्य देने वालों को इनाम की घोषणा
कर दी है। क्या होता है इनाम? कोई आओ और हमें बताओ कि इस महिला
का अपराधी कौन है। वह कोई डाकू गब्बर सिंह है जो जनता उसका पता
बताने के लिए आगे आएगी। यह तो सीधे-सीधे अपनी असफलता का ढिंढोरा पीटना है। पुलिस की संवेदना पर तो इंदौर की एक घटना इंसानियत का सिर झुकवा देती है। रेलवे प्लेटफॉर्म पर एक मासूम से पुलिस ने सौ रुपए में कटा हुआ सर उठाने के लिए कहा और काम हो जाने पर पैसे भी नहीं दिए।हमारी पुलिस आज भी अंग्रेजों के जमाने की पुलिस कहलाती है लेकिन
हालात यह है कि ब्रिटेन में हर मामला दर्ज किया जाता है फिर चाहे वह पहली
नजर में ही बेहद कमजोर क्यों ना हो। पुलिस स्वविवेक से फैसला करती है।
नेता और न्यायालय का उस पर इस कदर अविश्वास नहीं होता। यहाँ तो पूरा शिकंजा है. हमने
पुलिस के विवेक और कार्रवाई को कभी विश्वसनीय नहीं माना। गर्दन
फंसने पर सीबीआई का नाम लेने लगते हैं। खामियों का लंबा सिलसिला
मौजूद है। महिलाओं को बेहतर जीवन देने के अधिकार इन खामियों के बीच
जब-तब कुचलते चले जाते हैं। भंवरी से भंवरी तक कुछ नहीं
बदला है। दो दशक पहले भटेरी की भंवरी देवी [जिला जयपुर] की भंवरी देवी के साथ दुष्कर्म
हुआ था। उन्होंने ऊंची जाति का एक बालविवाह रुकवाया था। वह साथिन
थीं और सरकारी दायित्व पूरा कर रही थी। सबक सिखाने के लिए सामूहिक
बलात्कार किया गया। उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है। नेता से न्यायालय
तक सबने उन्हें ही दोषी माना। न्यायलय कि तो टिपण्णी थी कि कोई ऊंची जातवाला नीची जातवाली के साथ बलात्कार कैसे कर सकता है ? जोधपुर की भंवरी देवी तो अपने साथ हुए
अन्याय को बताने के लिए भी नहीं है। वह जिंदा है या मार दी गईं, यह भी नहीं
मालूम। कोई लेगा इसकी जिम्मेदारी कि राज्य की एक नागरिक कहां हैं?
वह कैसी थी, उसका आचरण कैसा था इन सब बातों से परे यह महत्वपूर्ण है
कि वह गायब कर दी गई है और इस षड्यंत्र में पूरी व्यवस्था शामिल है।
लोग गुम होते रहते हैं, समाज सोता रहता है।
जवाब देंहटाएंaapka aabhaar praveenji.
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