बेवा तारीख़



एक डूबी तन्हा तारीख है आज
कभी महकते थे फूल इस दिन
चिराग भी होते थे रोशन यहाँ
खुशबू भी डेरा डाले रहती थी

तुम नहीं समझोगे 
तारीख का डूबना क्या होता है
नज़रों के सामने ही यह
ऐसे ख़ुदकुशी करती  है
  कोई हाथ भी नहीं दे पाता
हैरां हूँ एक मुकम्मल तारीख
यूं ओंधे मुंह पड़ी है मेरे सामने
खामोश और तन्हा.

मैंने देखा है एक जोड़ीदार तारीख को बेवा होते

फिर भी मैं उदास नहीं मेरे यार
न ही नमी है आँखों में
इसी तारीख में जागते हैं
बेसबब इरादे
बेसुध लम्हें
बेहिसाब बोसे
बेखुद साँसें
बेशुमार नेमतों से घिरी है यह तारीख...

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन
    भावमयी अभिव्यक्ति...

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  2. aapko padh kar lajavab...

    kabhii kabhii itan dhundhali ho jati haiN tasvireN
    pata nahiN chalata qadamoN meN kitani haiN zanjireN
    paNv baNdhe hote haiN lekin chalanaa padata hai. [Zafar Gorakhpuri]

    जवाब देंहटाएं
  3. reenaji sangita ji, praveenji,anuraagji, monika ji aur kishoreji aapki raay mayne rakhti hai mere liye shukriya.

    जवाब देंहटाएं

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