इश्क़ रंगता है मुझे रोज़

आज किसी ने कहा
आपको देखकर लगता है
कोई नई ऊर्जा छू गई है
अब क्या कहती
सीधे तुम तक आ गयी
मेरी नई चेतना भी तुम
पुराना अचेत भी तुम
चेत, अचेत, अवचेतन सब तुम
मेरा हर फ़ेरा बस तुम

नित बदलती नई दुनिया में
तुम्हारा  हिमालय-सा यकीन
हर रोज नए मायने गढ़ लेता है
मैं उसी पुराने प्रेम के
नए रस में रोज भीगती हूं, बढ़ती हूं
नए समय के नए केनवस पर
भीगती,रंगती, खिलती, डूबती, मैं

प्रेम यूं भी देता है नए मायने
 

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