सबसे ज़्यादा अनरिपोर्टेड समय

पत्रकार शाहिद मिर्ज़ा साहब को याद करते हुए विनोद विट्ठल जी सा आपने जो कविता पुस्तक मुझे भेजी है उसके लिए आपका दिल की गहराइयों से आभार। आभार इसलिए भी कि आपने हमारे समय की बीमार नब्ज़ पर हाथ रख दिया है और उसके बाद इन हाथों ने जो लिखा है वह किसी वैद्य का कलात्मक ब्यौरा ही है। चाहो तो वक़्त रहते इलाज कर लो। कविता से पहले आपने सही लिखा है बाबाओं का बाज़ार है ,धार्मिक उन्माद है, मॉब लिंचिंग है, खाप  पंचायतें हैं, फ्री डाटा है ,व्हाट्सऍप -फेसबुक है ,टीवी के रियलिटी शो हैं ,खबरिया चैनल हैं,खूब सारा प्रकाशन- प्रसारण है लेकिन सबसे ज़्यादा  ज़्यादा अनरिपोर्टेड समय है। एक कवि की वाजिब चिंता कि कागज़ों में दुनिया भर की चिंता की जा रही है लेकिन लुप्त होते जा रहे इंसान की कोई बात नहीं कर रहा। वाकई ये कविताएं इस  अनरिपोर्टेड  समय की चिट्ठियां हैं जिसे हमें संभालना ही चाहिए। 
कविता लेटर बॉक्स में विनोद विट्ठल लिखते हैं
दर्ज़ करो इसे
कि अलीबाबा को बचा लेंगे जेकमा और माइक्रोसॉफ्ट को बिल गेट्स 
राम को अमित शाह और बाबर को असदुद्दीन ओवैसी 
किलों को राजपूत  और खेतों को जाट 
टीम कुक बचा लेने एप्पल को जाइए जुकरबर्ग फेसबुक को
तुम खुद उगो जंगली घांस की तरह इटेलियन टाइलें तोड़ कर 
और लहराओ जेठ की लू में लहराती है लाल ओढ़नी जैसे। 

इसके अलावा लाइक,अड़तालीस साल का आदमी, माँ की अलमारी और वित्तमंत्रीजी ,ढब्बू मियां, पिता का चश्मा,और स्टेटस के लिए भी मेरा लाइक स्वीकार कीजिये। अपनी बिटिया पाती के लिए जो कविता आपने लिखी है वह वाकई नई उम्मीद का राग है क्योंकि हवाओं ने बिलकुल तब ही कहा होगा मुझे नई बांसुरी दो।
कविता मिठाइयों का स्वाद जो  हमने चखा था , ज़ायका अब तक कायम है, यह कविता भी यहाँ है। शुक्रिया एक बार फिर अनरिपोर्टेड की  रिपोर्ट लिखने के लिए और हम जैसों को पढ़ाने के लिए। तरुण चौहान का आवरण चित्र कच्ची बस्ती के घर को जिस नीली आभा में पेश करता है वह भी उम्मीद पैदा करता है। 

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वंदे मातरम्-यानी मां, तुझे सलाम

सौ रुपये में nude pose

एप्पल का वह हिस्सा जो कटा हुआ है