सलाम तो सीधे खुदा को जाता है
क्यों करता है वह सलाम
और क्यों ऊंचा हो जाता है मेरा कद
रोज़ मेरे आस-पास ऐसा ही होता
फिर एक दिन अचानक
मेरे ही पाले से आती है एक आवाज़
मेरे ही पाले से आती है एक आवाज़
सलाम हुज़ूर!!
सलाम बजानेवाला चौंक उठता है
सलाम बजानेवाला चौंक उठता है
ये मेरी आवाज़ में कौन बोला
मेरा सुर इस कंठ में कैसे गूंजा
मेरा सुर इस कंठ में कैसे गूंजा
.....तभी से मैं और वह हो लेते हैं
इस आवाज़ के साथ
जो कहता है
मैं कहूं, तुम कहो क्या फर्क पड़ता है
न कहने वाला छोटा
न लेने वाला बड़ा
सलाम तो सीधे खुदा को जाता है .न लेने वाला बड़ा
फिर भी लोग खुद सलाम करवाना चाहते हैं .... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं:) बहुत सही बात ....
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल मंगलवार (09-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही..सच्चे दिल से किया गया सलाम तो सीधे ईश्वर को ही जाता है...
जवाब देंहटाएंsangitaji monikaji arunji vaniji kailashji praveenji aur ankurji aap sabka shukriya.
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