टंच स्त्रियाँ और चंट राजनेता

आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल 
सांसद मीनाक्षी नटराजन 
अगर जो निलंबन का आधार दुर्गा शक्ति नागपाल की गिराई मस्जिद की दीवार है, जिसके लिए  कोई अनुमति नहीं ली गयी थी तो नेताओं की ऐसी सोच विकास की कौनसी सीढ़ी चढ़ेगी नहीं  कहा जा सकता । यह तो जबरदस्ती उन मुद्दों को हवा देना है जिसकी ओर देश का ध्यान ही नहीं था.  माफिया से राजनेताओं की साँठ-गाँठ  है  जो इस व्यवस्था को और  पंगू बना रही है.एक पढ़े-लिखे युवा मुख्य मंत्री ने यह कार्यवाही कर निराश किया है तो  दूसरे  पढ़े-लिखे मुख्य मंत्री ने मंदसौर की सांसद मीनाक्षी नटराजन को सौ टंच माल कहकर साफ़ ज़ाहिर कर दिया है कि  वे स्त्री के लिए चीज़ और माल से बेहतर कोई  उपाधि नहीं खोज सकते


एक सियासत में अच्छे मुकाम पर हैं, तो दूसरी ब्यू
रोक्रेसी में अच्छे ओहदे पर। करिअर में खुद को ऐसी जगह देखने की ख्वाहिश में कई युवतियां दिन-रात मेहनत कर रही हैं, लेकिन मेहनत की दुनिया से निकलने के बाद होता क्या है? मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रवक्ता महिला सांसद को ' सौ टंच माल' कह देते हैं और दूसरी को उत्तर  प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पद से ही निलंबित कर देते हैं। पहले बात 2009  बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति  नागपाल की, जो निलंबन से पहले नोएडा की एसडीएम थीं। जब से वे इस पद पर आई थीं रेत खनन माफिया के खिलाफ उन्होंने एक माह में दो दर्जन से भी ज्यादा चालान कटवाए थे। ये अवैध रेत खनन यमुना और हिंडन नदी के किनारों से होता था। वे उनके डंपर और जेसीबी जब्त  कर लेती थीं। कई अवैध पुल भी उन्होंने ध्वस्त कराए । उनकी इस कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ था। अवैध कारोबार को रोकने के इनाम स्वरूप उत्तर  प्रदेश सरकार ने इस अधिकारी को यह कहकर निलंबित कर दिया कि ग्रेटर नोएडा के गांव कादलपुर क्षेत्र में इन्होंने एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरा दी। मस्जिद का निर्माण एक निजी जमीन पर हो रहा था, जिसकी कोई अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई थी। मुख्यमंत्री से जब पत्रकारों ने पूछा कि एसडीएम का निलंबन  क्यों  हुआ, तो उनका कहना था कि जब हम एक्शन  नहीं लेते, तो आप लोग कहते हैं कि एक्शन नहीं लिया और जब एक्शन  लिया, तो आप कहते हैं सख्त कार्रवाई कर दी।
               दुर्गा शक्ति 
पंजाब कैडर की आईएएस हैं, जो 2011 की यूपी कैडर के अभिषेक सिंह से शादी के बाद उत्तर  प्रदेश आ गई थीं। उन्हें इलाके में एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जाना जाने लगा था। उन्होंने एक स्पेशल उडऩ दस्ता बनाया था जो अवैध काम को रोकता था। गौरतलब
है कि मार्च 2012 
में अवैध खनन को रोकने में लगे आइपीएस नरेंद्र कुमार
सिंह की तो मध्य प्रदेश के मुरैना में हत्या ही कर दी गई थी।
                

उधर, दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश की मंदसौर जिले की सांसद मीनाक्षी नटराजन को 'टंच माल' कहकर जाहिर कर दिया है कि वे साथी स्त्रियों को किस नजर से देखते हैं। उन्होंने भले ही सफाई दी हो कि उनका इरादा खरेपन और साफ छवि वाली कहने का था, लेकिन मध्यप्रदेश, यूपी, बिहार में सब जानते हैं कि यह किन संदर्भों में इस्तेमाल किया जाता है।  'टंच माल' टिप्पणी  है, जिसका अर्थ दैहिक संदर्भों में है। यह कतई किसी स्त्री की कार्यकुशलता को पूरे अंक देने के लिए नहीं कहा जाता। इन दलों के नेता आपसी बैठकों में लाख कह लें कि बयानबाजी बहुत सोच समझकर की जानी चाहिए लेकिन जब वरिष्ठ नेताओं की  ज़ुबां  ही सार्वजनिक मंचों पर फिसल-फिसल जाती है, तो आमतौर पर क्या  होता होगा इसकी
कल्पना सहज की जा सकती है।
            राहुल गांधी ने मीनाक्षी नटराजन को 2008 
में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का सचिव नियुक्त किया था। 2009  में उन्होंने मंदसौर सीट से सांसद का चुनाव जीता। इस टिप्पणी  का कारगर विरोध अब तक उनकी ओर से नहीं आया है। उन्होंने कमजोर जवाब दिया कि यह
उनके कामकाज के संदर्भ में की गई टिप्पणी 
थी। यूं भी सियासत में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर है और जब ऐसी अवमाननाकारी टिप्पणियाँ  कथित वरिष्ठों की ओर से आएगी, तो हालात समझे जा सकते हैं। हमारे ग्रामीण विकास मंत्री महोदय ने एक वजनी महिला चिकित्सक को रोडरोलर बता दिया और कहा कि इनके पति को पद्मविभूषण मिलना चाहिए इसका क्या अर्थ है ये श्रीमान जयराम रमेश जी ही जाने. पता नहीं क्या उनके मन मे उमड़-घुमड़ रहा था. लेकिन इस सब को बढ़ावा तब मिलता है जब ये चिकित्सक कहती है कि i could read the wit and humour  in his comments and it not be seen as a personal comment on a lady doctor. स्त्री विरोधी टिप्पणी में सबसे पहले चरित्र हनन का सहारा लिया जाता है, दूसरा स्थान देह पर टीका टिप्पणी  का है। अधिकारी, खिलाड़ी कोई इस से बच नहीं पाता। सियासत जिनके हाथ में है, वे अब भी ईमानदार और समर्पण का सम्मान  कर पाना नहीं सीखे हैं।  ये महिलाएं ज़रूर टंच यानी  खरी हैं लेकिन ये  नेता चंट हैं. इन 'सेक्सिस्ट कमेंट्स'  का विरोध जब तक मुखर होकर नहीं किया जाएगा, तब तक बराबरी की बातें केवल किताबी हैं। तरक्की  की सीढ़ी अगर अवमानना के रास्ते से गुजरती हो तो वह अधूरी है

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टिप्पणियाँ

  1. समाज की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति, काश इन्हें कोई सुधारे।

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  2. अवतार लिया माँ दुर्गा नें
    ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी हिम्मत 1000 प्रतिशत की वृद्धि प्रदान करे
    आज वो नारियों को सिखा दिया अब हम सबला हैं

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  3. सच में दुखद ...बहुत अखरता है स्त्रीयों के प्रति यह व्यवहार ....

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  4. स्त्रियों के प्रति कुछ पुरुषों के घटिया दृष्टिकोण के चलते हो रहा है ये ।
    दुर्गा जी तो विरोध कर रही हैं पर हमारे मंदसौर की सांसद मैम क्यूं चुप हैं ।

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  5. शर्मनाक स्थिति ..

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  6. नमस्कार!

    "चंट नेता" सही है.मंत्री लोग कीबात को सरकारी माना जाय या नहीं.

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  7. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
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