हम भरे-भरे ही हैं दोस्त

उसने कहा मुझसे 
फिर क्यों नहीं 
मैंने कहा 
प्याला रीतता  ही नहीं 
ख़ालीपन के 
एक निर्वात 
दो आंसूं 
तीन हिचकियों 
चार बातों 
और अनगिन यादों 
के बाद 
फिर भर उठता है 
अजब जादूई मसला है
कभी मैं रीतती हूँ 
तो प्याला मुझे भर देता है 
और प्याला रीतता है तो मैं 
हम भरे-भरे ही हैं दोस्त.

टिप्पणियाँ

  1. रिक्तता कभी रहती नहीं, भर जाती है बहुधा अवसाद से। यदि किसी दृढ़ निश्चय से भरी जाये तो दिशा सामने दिखती है।

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  2. भीतर से भरा कभी खाली हो नहीं सकता !!

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  3. वाह......................
    अद्भुत भाव..........

    अनु

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  4. यह कबीर प्यारे का अबुझ कमंडल है..जितना खाली होता है..उतना ही भरता जाता है..किसी की अनुपस्थिति की रिक्तता को उसकी अनुपस्थिति की उपस्थिति का अहसास भरता रहता है..यह प्याला कभी नही भरता..और खुद को खाली भी नही होने देता....

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  5. gahri anubhuti he is kavita me. koi di khali nahi kabhi khushi to kabhi gam
    bhopal se 1 pathak

    जवाब देंहटाएं
  6. praveenji sahi kaha dradh nishchay se hi bhari jaani chahiye.
    vaaniji shukriya,
    anuji aabhaar,
    apoorv kahan gum rahte hain aap,wakayee yah pyala kabhi nahin bharta,
    bhopal ke pathakji aapka bhi shukriya.

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