नफ़रत की आग में सिंकती रोटियां
नया नहीं है सफेदपोश आतंक बस देश के कर्णधार भूल गए देश के दिल दिल्ली में वह भी उस ऐतिहासिक धरोहर के सामने जहां से हमारे तमाम प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के दिन देश को संबोधित करते आए हैं, बड़ा धमाका होना दिलों का दहला देने वाला है। इस आतंकी घटना में तेरह लोगों की जान चली गई और कई ज़िंदगी के लिए अब भी संघर्ष कर रहे हैं। यह घटना सिलसिलेवार कई और धमाकों को अंजाम दे सकती थी अगर जो जम्मू और कश्मीर पुलिस ने अक्टूबर महीने में श्रीनगर के नौगाम में आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के लगाए पोस्टरों को ट्रैक न किया होता। उन्होंने ही फ़रीदाबाद से 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया जिसे अमोनियम नाइट्रेट बताया जा रहा है। इसके बाद ही स्थानीय पुलिस सक्रिय हुई और कह सकते हैं कि लाल किले पर जो बेहद शक्तिशाली कार धमाका हुआ वह इसी धरपकड़ से उपजी हताशा थी। इस धमाके की तकलीफ़ में चुभन और ज़्यादा है क्योंकि इस आतंक में डॉक्टर्स शामिल रहे हैं। जो पेशा लोगों की जान बचाने के लिए भगवान का दर्जा रखता है, वही यहां हैवान बन गया था। जिस कार में धमाका हुआ उसके चालक का ना...