रंग ए उल्फ़त

सोच रही हूँ मेरे तुम्हारे बीच
कौन सा रंग है
स्लेटी, इसी रंग की तो थी कमीज़
जो  पहली  बार तुम्हें
तोहफे में दी थी
तुमने उसे पहना ज़रूर
पसंद नहीं किया .
लाल, जब पंडित ने कहा था
लड़की से कहना यही रंग पहने...
हम दोनों
को रास नहीं आया ख़ास
पीला, तुम्हारे उजले रंग में खो-सा जाता था 

गुलाबी,  में तुम्हे छुई-मुई लगती
तुम ऐसे नहीं देखना चाहते थे मुझे
सफ़ेद, में तुम फ़रिश्ता नज़र आते
यह लिखते हुए एक पानी से भरा बादल घिर आया है
हरा और केसरिया
इन पर तो जाने किन का कब्ज़ा हो गया है
नीला
यही,यही तो था
जिस पर मेरी तुम्हारी युति थी
नीले पर कोई शक शुबहा नहीं था हमें
फ़िदा थे हम दिलों जान से .

अब ये सारे रंग मिलकर काला
बुन देते हैं मेरे आस-पास.
मैं हूँ कि वही इन्द्रधनुष बनाने पर तुली हूँ
 जो था हमारे
आस-पास
नीलम आभा के साथ  |

टिप्पणियाँ

  1. यादों का इन्द्रधनुष, बहुत ही कोमल...

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  2. यादों का यह इन्द्रधनुष कोमल ज़रूर लगता है किंतु कचोटता है क्यों कि

    हरा और केसरिया
    इन पर तो जाने किन का कब्ज़ा हो गया है

    - और रंगों पर इस तरह किसी का क़ब्ज़ा सबसे खतरनाक है।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. tum ne kaha tha pahli barish k padhte hi laut aaoge
    hum aur tum milkar bheegan ge
    dekho jana
    kitni phuharen beet
    chuki hen
    sawan phir se laut k aaya he
    barson pahle kiya tha
    tum ne mujh se ahad
    nibha jao na
    jaan laut ki aajao na
    ab laut ke aajao na

    जवाब देंहटाएं
  5. dr. monika, praveenji, pradeepji,
    anuraagji aur soma aap sabka shukriya.

    जवाब देंहटाएं

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