हमें अफ़सोस है पिंकी प्रमाणिक


लेकिन ख़ुशी  है कि लिंग प्रमाणित  होने से पहले तुम्हारी ज़मानत हो गयी


पिछले दिनों हम सबने एक खबर पढ़ी कि
एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता
एथलीट पिंकी प्रमाणिक पर पश्चिम बंगाल
के 24 परगना क्षेत्र में एक स्त्री ने आरोप
लगाया कि वह एक पुरुष है और उसके
साथ दुष्कृत्य करने की कोशिश की।
खबर ने चौंका दिया कि एशियाई
एथलेटिक्स जैसी स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक
विजेता महिला के महिला होने पर ही
संदेह हो गया है। लगा था कि पुलिस और
अस्पताल मिलकर जल्दी ही परिणाम दे
देंगे लेकिन यह इतना आसान नहीं था।
एक लाइन की पुख्ता  खबर किसी को
नहीं मिली है कि पिंकी का जेंडर क्या  है।
इस बीच इस एथलीट के साथ कई
अनाचार हुए। उन्हें पुरुषों की जेल में
रखा गया। पुलिस ने उनके साथ
दुर्व्यवहार किया और लिंग परीक्षण के
मेडिकल मुआयने के दौरान उनका
एमएमएस भी बनाकर लीक कर दिया
गया। शायद, यही सोचकर कि यह तो
पुरुष की देह है, क्या फर्क पड़ता है,
लेकिन दो मिनट ठहरकर विचार कीजिए
कि जिसने पूरी जिंदगी खुद को स्त्री माना
हो और वैसी ही पहचान रखी हो उसे
यकायक आप कैसे बदल सकते हैं। वह
कैसे प्रस्तुत हो सकती है इस बदले हुए
व्यवहार को झेलने के लिए?
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के
जर्नल में हाल ही प्रकाशित शोध में एक
बात स्पष्ट है कि किसी का लिंग निर्धारित
करना आसान नहीं है। यह मुश्किल है,
महंगा है और कई बार सही भी  नहीं होता
है। हार्मोन और शरीर के अंगों का
विकास स्त्री-पुरुष में बहुत ज्यादा अंतर
नहीं रखता। दोनों के शरीर में यह
मामूली अंतर पर भी हो सकता है यानी
एक स्त्री में कई बार मेल हार्मोन ज्यादा
हो सकते हैं और कई बार एक पुरुष में
फीमेल हार्मोन। स्त्री और पुरुष को
सीधे-सीधे अलग करना इतना आसान
नहीं। स्त्री कोमल और पुरुष सख्त  जैसा
कोई खाका लिंग निर्धारण में मायने नहीं
रखता। टॉम बॉइश लड़की और लता से
नाजुक लड़के हम सबने देखें  हैं। जेंडर तो
वैसे ही बदला जा सकता है जैसे लीवर,
किडनी या दिल। अर्जेंटीना एक ऐसा देश
है जहां व्यक्ति  अपना जेंडर खुद चुनते हैं
फिर चाहे वे खुद जो भी हों
। वहां के
नागरिक को अपना जेंडर अपनी मर्जी से
चुनने का हक है। वह जो कहेगा वही
माना जाएगा।
एक बात जो महसूस होती है कि
हमारे यहां खेल केवल क्रिकेट है। इसके
अलावा किसी खेल की कोई इज्जत
हमारे दिल में नहीं है। हमने आठ सौ और
चारसौ मीटर में एशिया की पदक विजेता
का अपमान करने में कोई कसर नहीं
छोड़ी। ओलंपिक्स शुरू होने में एक
पखवाड़े का समय शेष है, लेकिन
भारतीय खेलों की दुनिया में बहुत
आशावादी माहौल नहीं है। लॉन टेनिस में
किसका जोड़ीदार कौन हो यही तय नहीं
हो पाता। बहरहाल, पिंकी की गरिमा
अक्षुण्ण रखने की बातचीत का यह अर्थ
नहीं कि उन पर इलजाम लगाने वाली की
सुनवाई ही ना हो। बेशक,फरियाद सुनी
ही जानी चाहिए, लेकिन जांच से पहले ही
पिंकी के साथ बदसलूकी नहीं होनी
चाहिए। सोलह जुलाई तक रिपोर्ट आ
जाएगी। कोई भी आरोपी जांच से पहले
तक निरपराधी है। पिंकी ने जिस जेंडर के
साथ जिंदगी जी है, उसका सम्मान  करना
ही सबका फर्ज है। विजेता खिलाडिय़ों के
अकाल पड़े देश में खिलाड़ी की इतनी
अवमानना तो कभी नहीं होनी चाहिए।

टिप्पणियाँ

  1. यहाँ तो सबने नियम कायदों की अवहेलना की ठान रखी है..... सहमती है आपसे

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी बातों से सहमत! पिंकी के मामले में मीडिया और प्रशासन हड़बड़ाया हुआ लगा!

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वंदे मातरम्-यानी मां, तुझे सलाम

मेरी प्यारी नानी और उनका गांव गणदेवी

मिसेज़ ही क्यों रसोई की रानी Mr. क्यों नहीं?