मेरे करीब मेरे पास

यादों में मसरूफ़ एक सुबह















तुम्हारे आते ही भीग जाती हैं ये आंखें
इतनी शिद्दत से कोई नहीं आता मेरे पास


ये जो धरती का सिंगार देख रहे हो इन दिनों
  इतना हरापन तुम्हीं से आया है मेरे पास
 
हर मुश्किल हालात में मेरा तेरी ओर ताकना
अब कहीं से कोई जवाब नहीं आता मेरे पास

टूटते तारे का नज़र आना भी अच्छा होता है
कभी गम में शरीक होने ही आ जाओ मेरे पास


ये जो मधुर कलरव हमारे पंछियों का है
तुम हो यहीं
मेरे बेहद करीब मेरे पास

टिप्पणियाँ

  1. अपने प्रियजनों के पास होने का अहसास ही प्यारा है।

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  2. जो जिस्म की हदों से गुज़र जाते हैं
    वे सदा को दिल में ही रह जाते हैं

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  3. इस बार सब कुछ ज्यादा बेहतर है, तस्वीर, याद और रंग भी....

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  4. अतिसुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति....

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  5. bahut shukriya praveenji, anuraagji, sagarji,kishoreji,ranjanaji,sidharth aur kavita.

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  6. सुंदर कविता और कल्पना बधाई और शुभकामनायें

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