जान का सदका
एक पल में करना चाहती हूँ
ये जो ख्वाहिश दिल ने की है अल सुबह
तेरे ज़ख्मों में खुद को पैबस्त करना चाहती हूँ
माजी कहकर भूलने को न कहना दोस्त
स्वर्णिम दौर को लौटा लाना चाहती हूँ
पाषाण युग से यही आरज़ू रही है मेरी
तेरे लिए कायनात किनारे कर देना चाहती हूँ
तेरे लिए कायनात किनारे कर देना चाहती हूँ
यह लोह-ओ-क़लम भी ले जा रहा है तेरे करीब
मैं तो बस इसमें सवार हो जाना चाहती हूँ
मैं तो बस इसमें सवार हो जाना चाहती हूँ
होगी जब कभी क़यामत एक रोज़
मैं पूरी तरह सज जाना चाहती हूँ
मैं पूरी तरह सज जाना चाहती हूँ
बहुत भावपूर्ण !
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी! प्रेम में कुछ भी कर पाने की शक्ति है।
जवाब देंहटाएंगहन और हृदयस्पर्शी।
जवाब देंहटाएंkishoreji anuraagji aur praveenji shukriya ki aap utsaah banye rakhne mein koi kami nahin karte.
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