इस रात की नीरव चुप्पी में
इस रात की नीरव चुप्पी में
जो मैं तुमको दूं आवाज़
तुम सुन लोगे ?
एक वक़्त था
तुम्हें जब-जब पुकारा
तुम मिले
कई बार तो
अचानक
अनायास
अनजानी जगहों पर भी
अभी इस चुप्पी में
मैंने फिर पुकारा है तुम्हारा नाम
चले आये हैं जाने कितने ख़याल
यादों की सीढ़ी पकड़कर
हौले-हौले,
खामोश प्रेम से भरे
तुम वाकई कमाल हो
वक़्त के साथ कभी नहीं बदले तुम।
प्रेम के गहरे भाव ..... हृदयस्पर्शी
जवाब देंहटाएंमन की वाणी व्यर्थ न जाये..
जवाब देंहटाएंshabd nahi he is kavita ki tareef ke liye
जवाब देंहटाएंdr. monika, praveenji, rajendraji aur anaamji aapka bahut shukriya.
जवाब देंहटाएं