आगत का गीत


सत्ताईस की वह सुबह हैरत भरी थी 
एक आँख सूखी और दूसरी गीली थी 
एक ज़िन्दगी से चमकती
 और दूसरी विदा गीत गाती हुई 
चमकती आँख ने हौले से भीगी आँख को देखा 
मानो पी जाना चाहती हो उसके भीतर की नमी 
इस बात से बेखबर 
कि फिर नमी ही उसकी मेहमां होगी.
आख़िर, ज़िन्दगी  से चमकती आँखे 
क्यों विदा गीत गाना चाहती थीं 

वह चौंक गयी ख्व़ाब से 
...और देखा कि उसकी तो दोनों ही आँखें 
एक ही गीत गा रही हैं 
गत का गीत ....

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वंदे मातरम्-यानी मां, तुझे सलाम

सौ रुपये में nude pose

एप्पल का वह हिस्सा जो कटा हुआ है