आगत का गीत
सत्ताईस की वह सुबह हैरत भरी थी
एक आँख सूखी और दूसरी गीली थी
एक ज़िन्दगी से चमकती
और दूसरी विदा गीत गाती हुई
चमकती आँख ने हौले से भीगी आँख को देखा
मानो पी जाना चाहती हो उसके भीतर की नमी
इस बात से बेखबर
कि फिर नमी ही उसकी मेहमां होगी.
आख़िर, ज़िन्दगी से चमकती आँखे
क्यों विदा गीत गाना चाहती थीं
वह चौंक गयी ख्व़ाब से
...और देखा कि उसकी तो दोनों ही आँखें
एक ही गीत गा रही हैं
आगत का गीत ....
आशाएं सदैव साथ रहती हैं..... और स्वप्न आँखों में बसते हैं.....
जवाब देंहटाएंआगत का गीत साकार हो..
जवाब देंहटाएंdr. monika praveenji aap dono ka abhaar.
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