अब कोई अवतार नहीं होनेवाला


विख्यात पत्रकार शाहिद मिर्ज़ा के व्याख्यान की समापन किस्त
हम पढे़-लिखे देश भी हो रहे हैं। साक्षर देश भी हो रहे हैं। जिम्मेदार निर्वाचन कानून बनाने से मतदाता जिम्मेदार नहीं होगा। और चुनाव आयोग के बूते की भी नहीं है कि वह अपराधियों की पूरी पहचान कर ले। कई बार बडे़ अपराधी भी बडे़ सफेदपोश बन जाते हैं। बडे़ अच्छे रिकॉर्ड्स ले आते हैं। थाने से पंचनामा ही फड़वा देते हैं। तो कई सारा छल-छद्म इसमें होता है। लेकिन मैं शाहिद मिर्जा यदि जयपुर का निवासी हूं तो मैं जानता हूं कि मेरे सांसद महोदय कैसे हैं? किस माजने के हैं? कितने पढे़-लिखे हैं? कितने सक्रिय रहेंगे? जनता से उनको कितना लगाव है? है या नहीं? लेकिन मैं तो पलायनकारी हूं। ना मैं काम करने जाता हूं। मुझे कोई मतलब ही नहीं है कि देश में किस अदा से काम चल रहा है। खासतौर पर शिक्षित मध्यवर्ग है। इसके बारे में पवन वर्मा ने बहुत सुंदर किताब लिखी है, ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास। उन्होंने कहा कहा कि भारत की आजादी लाने वाले यही लोग हैं। लेकिन ये ही अब चोट्टे हो गए हैं। ये ही सबसे अधिक भ्रष्ट हो गए हैं। ये शाम को कहते हैं कि देश में बहुत भ्रष्टाचार है ओर सुबह ही थैली लेकर मंत्री के घर पहुंच जाते हैं। साहब हमारे काम करवा दीजिए। तीन ठेके हैं, सर, अंकल। यह तो बहुत जरूरी है। यह तो करने ही पडे़गे और ये, ये तो रीति नीति है। यह तो भीतर है। इससे mukti नहीं मिलेगी तो समाज को भी mukti नहीं मिलेगी, और लोकतंत्र हमारा दूषित और कलंकित बना रहेगा। इसको छोड़ना बहुत जरूरी है। धनबल से दलाल पंचों को, वार्ड पंचों को खरीद लेते हैं। विधायक को खरीद लेते हैं। भले ही वे अजीम
प्रेम जी न हो लेकिन छुटभैय्ये प्रेमजी का अपराधियों से प्रेम अनवरत चल रहा है। तो उन्हें कौन रोकेगा। मेरा निवेदन है कि अब कोई अवतार नहीं होने वाला है। सब अवतार हो गए। महात्मा बुद्ध हो गए। कृष्णावतार हो गए। दशावतार हो गए। जीसस क्राइस्ट को सलीब ठोक दी। सुकरात को जहर पिला दिया। अब कुछ होने वाला नहीं है। अगर यह दुनिया खराब बन रही है तो यह हमारे कारण बन रही है। और अच्छी सुन्दर और रहने लायक सहनशील और सरस बनेगी, तो भी हमारे कारण ही बनेगी।
अलग-अलग पेशों से राजनीति मे कोई दिक्कत नहीं हैं। गोल्डन मेयर इजराइल के बहुत अच्छे प्रधानमंत्री साबित हुए। इजराइल मंे जो कंसेप्ट है उसमें मीडिया के नुमाइंदों को बुलाकर रखते हैं। फौज के नुमाइंदों को रखते हैं। जब भारत इतने सारे घोषित और अघोषित शत्रुओं से घिरा हुआ है तो फौज के 12 लोग नामांकित क्यों नहीं होते? उन्हें भी आप सहयोग करें। आप यह कल्पना करें कि फील्ड मार्शल मॉनेक शॉ जीत कर आ जाएंगे तो आप उनकी जमानत जब्त करवा देंगे। वो कैपैन नहीं करेंगे। हाथ नहीं जोड़ेंगे, वो झुकेंगे नहीं। वो झूठे वादे नहीं करेंगे तो हार जाएंगे। उनकी तो जमानत जब्त होगी। वो बुढ़ापे में यह अपमान क्यों सहन करें? तो हमारे कानून में कुछ होना चाहिए कि जहां पाकिस्तान की सीमा लगी है, जहां तालिबान खडे़ हो रहे हैं, जहां चीन से सीमा लगी है, जहां यांमार में हमारे खिलाफ ट्रेनिंग कैम्प्स लगते हैं। जहां 2000 आतंकी प्रशिक्षण शिविर पाक अधिकृत कश्मीर में हैं। बांग्लादेश में हैं।
लक्षद्वीप को लेकर श्रीलंका हमें आंख दिखाता है। मालदीव कहता है कि लक्षद्वीप हमारे हैं। तो हम किसी गरीब की जोरू क्यों बनना चाहते हैं? ऐसी क्या हमारी मजबूरी है? हम भारत को एक मजबूत देश क्यों नहीं बनाना चाहते? पिछली शताब्दी कुछ अमेरिकी लोगों से मुझे मिलने का मौका मिला। डेनियल वहां के भारत में राजदूत थे। तो वो बहुत दंभी होकर कहते थे दिस इज अमेरिकन सेन्चुरी। अमेरिका के लोग स्वभाव से ही दंभी हैं। सब यूरोप के जुआरी, चोर, लबारों की संतान हैं। तो ठीक है। आपकी शताब्दी थी, वो गई। अब वो अतीत हो गई। यह हमारी शताब्दी है। भारतीयों की शताब्दी।
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टिप्पणियाँ

  1. इस आलेख के कथ्य से सहमत हूँ।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. yah poora aalekh nischit roop se ek aise sambaddh vyakti ki chintaaon ko spasht karataa hai jise bas chintaa nahii vyakt karnii hai..

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  3. अवाम की सुस्‍ती अवतारों की उम्‍मीद कराती है। लोग सोचते हैं कि उनकी रोजमर्रा की समस्‍याओं का समाधान तो ईश्‍वर करते ही हैं प्रभावी बदलाव करने के लिए भी वे खुद आ जाएंगे। इसी कारण आज कल्कि का इंतजार हो रहा है।

    मिर्जा जी की तालिबान की चिंता इतनी स्‍पष्‍ट थी। आज लगता है कि उन्‍होंने भविष्‍य के झरोखे में झांककर पहले ही देख लिया था।

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति है-लिखते रहें
    श्याम सखा‘श्याम‘
    http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
    http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

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  5. अगर यह दुनिया खराब बन रही है तो यह हमारे कारण बन रही है। और अच्छी सुन्दर और रहने लायक सहनशील और सरस बनेगी, तो भी हमारे कारण ही बनेगी।
    bilkul sahi kaha hai shahid ji ne.

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  6. शाहिद मिर्जा पत्रकार होने के साथ एक आला दर्जे के चिन्तक भी थे वे वर्तमान में रहते हुए भविष्यगामी संकटों को पहचानने की दृष्टि रखते थे.

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  7. Is Desh Ke Kalyan K Liye Ab Koi Avtaar Nahi Hone Wala...Lekin Shahid Jee Jaisa Mahan Vyaktitva Bhi Kahin Dobara Nahi Hoga. Unke Shabd 'LIKHDALA' ki Shaan Hain. Next ka Intzaar Rahega...

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  8. आप की बात एकदम सही है....
    आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  9. VARSHA....i am so glad that you found me because that led me to find you....thanks for such lovely comment.Regards....

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