पुरुष के लिए प्रेम में समर्पित स्त्री को समझना मुश्किल
क्लासिक पुस्तक-द एंड ऑफ़ द अफेयर
लेखक -ग्रेहम ग्रीन
'द एंड ऑफ़ द अफेयर' ब्रितानी लेखक ग्रेहम ग्रीन (1904 -1991) का वह उपन्यास था जिसने उन्हें रातों-रात पूरी दुनिया में चर्चित कर दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई इस प्रेम कहानी को लेखक बार-बार नफ़रत की कहानी कहकर सम्बोधित करता है। शायद बहुत प्रेम और बहुत घृणा बड़ी आसानी से एक दूसरे के साथ खो –खो खेल लेते हैं। उपन्यास 1951 में प्रकाशित हुआ था जिसे टाइम मैगज़ीन ने अपने कवर पर जगह दी थी। हैनरी, सेरा और मोरिस के चरित्र पाठक को यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या स्त्री के बेहिसाब समर्पण की थाह ले पाना पुरुष के लिए हमेशा मुश्किल रहता है। अगर जो ऐसा नहीं है तो खूबसूरत और समझदार सेरा जो बड़े सरकारी अधिकारी की पत्नी है के समर्पण के बावजूद मोरिस क्यों इस कदर असुरक्षित रहता है? क्यों उसे लगता है कि सेरा कभी भी उसे छोड़ सकती है। आत्मीय क्षणों की समाप्ति के बाद उसे यही डर सताने लगता है कि सेरा एक दिन उसे छोड़ जाएगी। इस डर में मोरिस सेरा की जासूसी कराने से भी बाज़ नहीं आता और यह जाल वह उसके पति के साथ मिलकर बुनता है।
कल्पना की जा सकती है कि मोरिस का उस वक्त हाल क्या होता होगा जब जासूस, सेरा की एक डायरी उसे लाकर देता है जो बताती है कि सेरा ने तो दिल की गहराइयों से केवल उसे चाहा है। डायरी यह भी बताती है कि उस रात बमबारी के बाद जब सेरा ने मोरिस को घर की सीढ़ियों के नीचे दबा और निस्तेज पाया था तो उसे लग गया था कि उसका सब कुछ अब ख़त्म हो चुका है।तभी प्रेम में आकुल और नास्तिक सेरा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि अगर मोरिस ज़िंदा हुआ तो वह हमेशा के लिए उसे छोड़ देगी। कुछ भारतीय स्त्री की तरह ही जो प्रेम की रह में सब क़ुरबान कर सकती है। समर्पण कि पराकाष्ठा में लिए गया कैसा वादा था यह। उसे लगा था कि मोरिस का यह हश्र उसके कर्मों की सज़ा है क्योंकि वह अपने वैवाहिक रिश्ते में ईमानदार नहीं थी। सेरा भले ही इस दुःख में विदा होती है लेकिन उसकी डायरी के घटनाक्रम मोरिस को बताते चलते हैं कि सेरा बेहद नेकदिल महिला थी और इस दौरान जो भी लोग उससे मिले, उनके जीवन पर उसका चमत्कारिक असर हुआ था। इस उपन्यास ने दांपत्य और प्रेम को जिस तरह से देखा उससे प्रभावित होकर ही कथाकार मोहन राकेश का अनुवाद किताब को हिंदी में लाया । राजकमल प्रकाशन ने मूल कृति का अनुवाद हिंदी में 'उस रात के बाद' शीर्षक से प्रकाशित किया है। ग्रीन कई बार नोबेल के लिए भी नामांकित हुए और द एंड ऑफ़ द अफेयर कृति पर इसी नाम से हॉलिवुड में दो फ़िल्में भी बनी हैं।


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