भारतीय सांसद के घर से ब्रिटिश राजघराने तक बहुओं के बोलने पर है पाबंदी

 भारत हो या इंग्लैंड ,राजघराना हो या सांसद का घर, बहुओं की आवाज़ इन्हें कभी रास नहीं आती। सबका DNA सामंती रवैये को ही डिकोड करता है। 



भारत से ब्रिटेन तक सब एक हैं। यहाँ सांसद की बहू है वहां राजघराने की । एक को उस राजसी माहौल में खदकुशी कर लेने का मन कर रहा था तो एक ने खुद की नस ही काट ली है। ज़िंदा दोनों हैं लेकिन दोनों बिना किसी अपराध के गुनहगार साबित की जा रही हैं। हाँ एक गुनाह दोनों ने किया है। बोलने का गुनाह। एक को आज तक टीवी चैनल वालों ने मुर्गे की लड़ाई दिखाने की  तर्ज़ पर जेठ के सामने कर दिया तो दूसरी ने दिल की बात ओपरा विनफ्रे के शो पर कह डाली । कह दिया कि शाही खानदान को डर था कि प्रिंस हैरी के बच्चे की चमड़ी का रंग कहीं अलग न हो । एक का नाम  अंकिता है और दूसरी का मेगन मर्केल। दोनों की कहानी अलग-अलग है लेकिन पृष्ठभूमि बिलकुल एक है ससुराल और ये ससुराल बहू की ऊंची आवाज़ ज़रा भी बर्दाश्त नहीं कर पाता। 

ससुराल जिस जगह का नाम है क्या वह डिज़ाइन ही इस तरह से होती है? हिंदुस्तान से इंग्लिस्तान तक  बच्चे के रंग और लिंग को लेकर जद्दोजहद होती है और जो ऐसा ना हुआ तो लड़की ने लड़के को काबू कर लिया जैसे मुद्दे ससुराल की देहरी पर लटकते मिलते हैं। उत्तरप्रदेश के मोहनलालगंज से भाजपा सांसद कौशल किशोर की बहू अंकिता का सामना जब चैनल ने उसके जेठ से कराया तो वह लगातार एक ही बात कह रहा था कि तुम हमारे भाई को ले गई, तुमने उसे नशे की लत दे दी ,तुमने उसे बरबाद कर दिया। इस आमने -सामने के तीन दिन बाद ही अंकिता ने अपने हाथ की नस काट ली ,विडिओ में वे कह  रही हैं मेरे पति और ससुराल वालों के अत्याचार के कारण मैं ऐसा कर रही हूँ। मेरे ससुर भाजपा के सांसद हैं और सासू विधायक। मैं और नहीं लड़ सकती। 

अंकिता आयुष के परिवार की पसंद नहीं थी। मेगन मर्केल भी  प्रिंस हैरी की पसंद थी। वे दोनों तो शाही खानदान से अलग  एक आम ज़िन्दगी बसर करने की ख्वाहिश रखते हैं। अंकिता  के हवाले से एक बात तो साफ़ है कि  इन सुविधाभोगी लड़कों के सर से ज्यों ही प्रेम का भूत उतरता है इन्हें पापा याद आते हैं। पापा का ऐशो -आराम फिर हासिल करने के लिए ये फिर अपनी ही पत्नी को अपमानित करने से नहीं चूकते। कैमरा के सामने बेशर्मी से ये तक कह देते हैं कि इसके जिंदगी में आने से पहले क्या शानदार लाइफ थी हमारी। इसने सब बरबाद कर दिया। आयुष ने यही किया,अंकिता अपमानित किया। 

मेगन मर्केल जो छोटी उम्र से ही समानता की पैरोकार रही हैं और  अपनी बात कहने से हिचकती नहीं हैं। उन्होंने  जब ब्रिटिश शाही खानदान का नस्लभेदी रंग उजागर किया तो फिर वे चौतरफा हमलों से घिर गईं। इलज़ाम लगा कि वे महल के कर्मचारियों को धमकाती थीं। मर्केल ने भले ही सबूत मांगे हों लेकिन हम सब जानत हैं सिलसिला अब रुकने वाला नहीं। ज़्यादा पुरानी बात नहीं है जब प्रिंस हैरी और विलियम की माँ डायना को लोगों ने महल की ज़िन्दगी से ऊबते देखा था। प्रिंस चार्ल्स का दूसरी स्त्री से सम्बन्ध जो आज उनकी पत्नी है ,डायना को किस कदर तोड़ने वाला रहा होगा। शायद इसीलिए बेटे हैरी ने खुद को महल से दूर एक सामान्य ज़िन्दगी जीने के लिए तैयार किया। यह सब आसान नहीं होना था। हैरी अपनी माँ की तरह ही शाही खानदान की शान के बोझ को जीते हुए सहज नहीं महसूस कर रहे हों। डायना भले ही ना बोली हों लेकिन मेगन मर्केल बोली हैं और उसकी अनुगूंज दूर तक सुनाई दे रही है। 

भारत हो या इंग्लैंड ,राजघराना हो या सांसद का घर, बहुओं की आवाज़ इन्हें कभी रास नहीं आती। सबका DNA सामंती रवैये को ही डिकोड करता है। 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने। प्यार करने वालों ( खासकर लड़कियों) को यह दंश न जाने और कब तक भुगतना पड़ेगा।

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