दिशाहीन सरकारें ही 'दिशा' के मिलने पर होती हैं बदहवास

 


जब मैं अपने टीन्स में थी तो आरक्षण विरोधी आंदोलन में मेरी आस्था बढ़ती गई और फिर बाबरी मस्जिद ढहाने के  कृत्य में भी मेरी पूरी रुचि और समर्थन था। फिर निर्भया के समयकाल में अन्ना हज़ारे से भी हमदर्दी रही। तब कोई ब्लॉग या ट्विटर अकाउंट होता तो मेरे पोस्ट इनके ही हक़ में होते। देश पिछले कुछ महीनों से किसान आंदोलन का साक्षी है। कई लोग सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी हमदर्दी और नाराजगी ज़ाहिर कर रहे हैं। नए समय के नए माध्यम हैं अपनी बात कहने के । एक गूगल डॉक्यूमेंट बनता है ,कुछ समूह उसे सम्पादित करने का अधिकार भी समूह के सदस्य को देते हैं। आंदोलन को गति देने के लिए के लिए अपनी अभिव्यक्ति इसके जरिए हो सकती है। फ्री स्पीच का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है बशर्ते कि वह किसी भी तरह की हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करता हो।  आज यही  फ्री स्पीच देशद्रोह के अपराध में लपेट दी गई है और देशद्रोह के ऐसे आरोप अभूतपूर्व संख्या में बढे हैं। कहीं से भी उठाके जेल में डाल दो । ताज़ा आरोप दिशा रवि का है जिसे बैंगलोर से पुलिस ने उठा लिया। दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया लेकिन उसेअपने किसी वकील की  सुविधा भी नहीं दी गई। एक वकील का कहना है की शनिवार को गिरफ्तार करना रविवार को पेश  करना साज़िश है जिसके तहत मुवक्किल के अधिकार कम किये जाते हैं। 

एक 21 साल की लड़की दिशा रवि की यूं गिरफ्तारी सरकारों के डर और असुरक्षा को बताती है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1995 के  एक आदेश  में खालिस्तान ज़िंदाबाद के नारों को भी देशद्रोह नहीं माना था क्योंकि वहां भी इरादा  हिंसा का नहीं था। यहाँ खालिस्तान समर्थक ग्रुप से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। दिशा रवि पर्यावरण की सक्रिय कार्यकर्ता हैं और वही ग्रेटा थनबर्ग भी  हैं। जाने क्यों  सरकार के मुखियाओं को ये आवाज़ें खूब खटकती हैं। युवतियों को जेल में डालने का सिलसिला बढ़ता ही जा  रहा है। रिया चक्रवर्ती सुशांत मामले में ,नोदीप कौर लेबर एक्टिविस्ट और अब दिशा रवि किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट की वजह से। ज़्यादातर मामलों में पुलिस एक थ्योरी गढ़ के  चलती है संभव  है कि यह थ्योरी सुनवाई के दौरान  असफल भी साबित हो लेकिन झूठी गिरफ़्तारी के  बाद किसी पुलिसकर्मी या अधिकारी की कभी गिरफ्त्तारी हुई हो  ऐसा  भी देखने में नहीं आता। आरुषि केस में पूरे देश ने पुलिस के दुविधाग्रस्त चेहरों को देखा। यह भयावह है कि आप केवल अपने शक की बुनियाद पर किसी को भी अपराधी मान जेल में डाल दें और अब तो लड़कियों को भी। जो ट्वविटर स्टॉर्म क्रिएट किये जाने का हवाला दिया जा रहा है तो हैश टैग के साथ भाजपा का आईटी सेल भी  करता है। कोई कभी पकड़ा नहीं गया।   

दिशा की गिरफ्तारी ने दुनिया को भारत सरकार के आत्मविशास को नहीं बल्कि कमज़ोर चेहरे  को दिखाया है। ऐसा लगता है जैसे ग्रेटा को जिसने भी इनपुट दिया हो, सरकार की उससे दुश्मनी हो। ऐसे में  दिशा रवि  समर्थन में दुनिया जुटने लगे यह भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। यह सरकार के लिए सही दिशा नहीं होगी।केवल दिशाहीन सरकारें ही दिशा के मिलने पर बदहवास हो सकती हैं।

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